प्राथमिक क्रियाएँ (JAC Class 12 Geography Notes): इस अध्याय में हम प्राथमिक क्रियाओं, उनकी विशेषताओं, प्रकारों, और आर्थिक क्रियाओं में उनकी भूमिका का विस्तृत अध्ययन करेंगे। प्राथमिक क्रियाएँ मानव जीवन और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और इन्हें समझना हमारे लिए आवश्यक है।
Textbook | NCERT |
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Class | Class 12 |
Subject | Geography (भूगोल ) |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | प्राथमिक क्रियाएँ |
Category | कक्षा 12 Geography नोट्स |
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Official Website | JAC Portal |
आर्थिक क्रियाएँ
आर्थिक क्रियाएँ वे गतिविधियाँ होती हैं, जिनसे मानव को आय प्राप्त होती है। इन्हें चार प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है:
- प्राथमिक क्रियाएँ: ये प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर होती हैं।
- द्वितीयक क्रियाएँ: इनका संबंध संसाधनों के रूपांतरण से है।
- तृतीयक क्रियाएँ: ये सेवाओं से जुड़ी होती हैं।
- चतुर्थक क्रियाएँ: ये ज्ञान आधारित गतिविधियों से संबंधित होती हैं।
प्राथमिक क्रियाएँ
प्राथमिक क्रियाएँ वे गतिविधियाँ हैं जो मानव को सीधे प्राकृतिक संसाधनों से जोड़ती हैं। इनमें कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, खनन, और वन उत्पादों का संग्रह शामिल है। प्राथमिक क्रियाएँ विशेष रूप से भूमि, जल, और खनिजों की उपलब्धता पर निर्भर करती हैं।
प्रमुख गतिविधियाँ
- कृषि: यह प्राथमिक गतिविधियों में सबसे महत्वपूर्ण है। कृषि का उद्देश्य खाद्य उत्पादन करना है, और यह विभिन्न प्रकारों में विभाजित है:
- निर्वाह कृषि: यह खेती के छोटे भूखंडों पर की जाती है और मुख्यतः परिवार की आवश्यकताओं के लिए होती है।
- वाणिज्यिक कृषि: यह बड़े पैमाने पर की जाती है और बाजार के लिए उत्पादित होती है।
- पशुपालन: इसमें मवेशियों और अन्य पशुओं का पालन किया जाता है। यह भी दो प्रकार का होता है:
- चलवासी पशुचारण: इसमें लोग अपने पशुओं के साथ चारागाह की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं।
- वाणिज्यिक पशुपालन: इसमें पशुओं का पालन बड़े फार्मों में किया जाता है, जहां वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किया जाता है।
- मत्स्य पालन: यह जल स्रोतों से मछलियों और अन्य जलीय जीवों का संग्रहण करने की प्रक्रिया है। यह एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, खासकर तटीय क्षेत्रों में।
- खनन: खनिजों का निकालना, जो कि आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के खनिजों का उपयोग किया जाता है, जैसे लोहे, कोयले, और अन्य धातु।
आर्थिक गतिविधियों की विशेषताएँ
प्राथमिक क्रियाएँ प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर होती हैं और इन्हें एक क्षेत्र विशेष में ही किया जाता है। उदाहरण के लिए, कृषि की प्रकृति जलवायु, भूमि की उर्वरता, और मौसम की स्थितियों पर निर्भर करती है।
आखेट और भोजन संग्रहण
मानव के प्राचीनतम व्यवसायों में से एक है आखेट और भोजन संग्रहण।
- आखेट: इसका अर्थ है वन्य जीवों का शिकार करना। यह प्राचीन समय में मानव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा था, जब लोग अपनी जरूरतों के लिए शिकार करते थे।
- भोजन संग्रहण: इसमें आवश्यकताओं के लिए भोजन इकट्ठा करना शामिल है। यह गतिविधि विभिन्न प्रकारों में होती है, जैसे:
- जीविकोपार्जन संग्रहण: जहाँ भोजन केवल जीवन के लिए आवश्यक है।
- वाणिज्यिक संग्रहण: जहाँ भोजन का संग्रह व्यापार के लिए किया जाता है।
- संगठित संग्रहण: जहाँ संग्रह की प्रक्रिया एक व्यवस्थित तरीके से की जाती है।
प्रमुख क्षेत्र
प्राथमिक क्रियाओं के अंतर्गत विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विशेषताएँ होती हैं:
- चलवासी पशुचारण: यह उत्तर अफ्रीका, यूरोप, एशिया, और टुंड्रा क्षेत्रों में होता है।
- वाणिज्यिक पशुपालन: न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटिना, और संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रचलित है।
- निर्वाह कृषि: अफ्रीका, दक्षिण और मध्य अमेरिका, और दक्षिण पूर्व एशिया में होती है।
पशुपालन के प्रकार
पशुपालन को दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- चलवासी पशुचारण:
- इसमें समुदाय अपने पालतू पशुओं के साथ जल और चारागाह की उपलब्धता के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं।
- यह पर्यावरण के अनुकूल होता है और संसाधनों का स्थायी उपयोग करता है।
- वाणिज्यिक पशुधन पालन:
- यह एक स्थिर स्थान पर बड़े पैमाने पर किया जाता है।
- इसमें वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करके पशुओं की देखभाल की जाती है।
चलवासी और वाणिज्यिक पशुधन में अंतर
विशेषता | चलवासी पशुचारण | वाणिज्यिक पशुधन |
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अर्थ | जल और चारागाह की खोज में स्थानांतरित होते हैं | एक निश्चित स्थान पर बड़े फार्म में पालन |
पूँजी | पूंजी प्रधान नहीं | अधिक व्यवस्थित और पूंजी प्रधान |
देखभाल | प्राकृतिक रूप से बड़े होते हैं | वैज्ञानिक तरीके से पालन |
क्षेत्र | पुरानी दुनिया में सीमित | मुख्यतः नई दुनिया में प्रचलित |
निर्वाह कृषि
निर्वाह कृषि छोटे भूखंडों पर की जाती है, जहाँ किसान अपनी और अपने परिवार की आवश्यकताओं के लिए उत्पादन करते हैं।
निर्वाह कृषि के प्रकार
- आदिकालीन निर्वाह कृषि:
- इसमें कृषक अपने भरण-पोषण के लिए उत्पादन करते हैं।
- इसे स्थानांतरणीय कृषि भी कहा जाता है, जहाँ खेत स्थायी नहीं होते।
- गहन निर्वाह कृषि:
- इसमें भूमि के छोटे टुकड़ों पर अधिक जनसंख्या के साथ खेती की जाती है।
- यह मुख्यतः चावल या अन्य खाद्य फसलों के लिए होती है।
आदिकालीन निर्वाह कृषि की विशेषताएँ
- खेत का आकार छोटा होता है।
- पारंपरिक औजारों का उपयोग किया जाता है।
- कृषि की पद्धतियाँ सामुदायिक होती हैं और जंगलों को साफ करके की जाती हैं।
गहन निर्वाह कृषि
चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि
- यह उन क्षेत्रों में होती है जहाँ जनसंख्या का दबाव अधिक होता है।
- मुख्य फसल चावल होती है और सिंचाई मुख्यतः वर्षा पर निर्भर होती है।
चावल रहित गहन निर्वाह कृषि
- इसमें चावल की बजाय अन्य फसलें जैसे गेहूँ, जौ आदि उगाई जाती हैं।
- यह उन क्षेत्रों में होती है जहाँ चावल के लिए पर्याप्त वर्षा नहीं होती।
रोपण कृषि
रोपण कृषि व्यापारिक कृषि का एक प्रकार है, जिसमें चाय, कॉफी, रबड़, और अन्य फसलें उगाई जाती हैं।
रोपण कृषि की विशेषताएँ
- इसमें बड़े क्षेत्र में बागान होते हैं।
- अधिक पूंजी और तकनीकी विधियों की आवश्यकता होती है।
- मुख्य फसल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
स्थानांतरी कृषि
स्थानांतरी कृषि में एक भूमि का टुकड़ा कुछ समय तक उपयोग किया जाता है और बाद में छोड़ दिया जाता है।
झुम खेती
झुम खेती में भूमि की वनस्पति को काटकर जलाया जाता है। राख का उपयोग उर्वरक के रूप में होता है। यह प्रक्रिया उत्तर पूर्वी भारत में प्रचलित है।
मिश्रित कृषि
मिश्रित कृषि में फसल उत्पादन और पशुपालन दोनों को समान महत्व दिया जाता है।
मिश्रित कृषि की विशेषताएँ
- इसमें फसलों के साथ पशुओं का भी पालन किया जाता है।
- यह विकसित क्षेत्रों में अधिकतर होती है, जैसे उत्तरी पश्चिमी यूरोप।
दहन कृषि
इस प्रकार की कृषि में वनस्पति को काटकर जलाया जाता है और जली हुई राख का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।
ऋतु प्रवास
ऋतु प्रवास में चलवासी पशुचारक नए चारागाहों की खोज में लंबी दूरियाँ तय करते हैं। गर्मियों में वे पर्वतीय चरागाहों की ओर और शीत ऋतु में मैदानी भागों की ओर प्रवास करते हैं।
ट्रक कृषि
जहाँ केवल सब्जियों की खेती की जाती है, उसे ट्रक कृषि कहते हैं। यहाँ सब्जियाँ बाजार के लिए भेजी जाती हैं।
डेरी कृषि
डेरी कृषि एक विशेष प्रकार की कृषि है, जिसमें दूध उत्पादन के लिए पशुओं की देखभाल की जाती है।
डेरी कृषि की विशेषताएँ
- इसमें पशुओं के स्वास्थ्य, प्रजनन, और चिकित्सा पर ध्यान दिया जाता है।
- नगरीय और औद्योगिक क्षेत्रों में डेरी कृषि अधिकतर की जाती है।
भूमध्य सागरीय कृषि
यह कृषि भूमध्यसागरीय जलवायु वाले क्षेत्रों में होती है, जिसमें खट्टे फलों का उत्पादन मुख्य होता है।
सहकारी और सामूहिक कृषि
सहकारी कृषि
सहकारी कृषि में किसान एक समूह बनाकर काम करते हैं। वे अपने संसाधनों को साझा करते हैं और संयुक्त रूप से उत्पादन करते हैं।
सामूहिक कृषि
सामूहिक कृषि में सभी उत्पादन के साधनों का स्वामित्व समाज का होता है। यह सरकार द्वारा संचालित होती है और इसमें सभी प्रक्रियाएँ सरकारी नियंत्रण में होती हैं।
खनन
खनन का अर्थ है भूपर्पटी से मूल्यवान खनिजों को निकालना।
खनन के प्रकार
- भूमिगत खनन:
- यह अधिक जोखिमपूर्ण होता है, और इसके लिए सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है।
- धरातलीय खनन:
- यह सरल और सस्ता होता है। इसमें खनिजों का भंडार धरातल के निकट होता है।
खनन को प्रभावित करने वाले कारक
- भौतिक कारक: खनिजों की गुणवत्ता, गहराई।
- आर्थिक कारक: खनिजों की मांग, प्रौद्योगिकी का विकास।
निष्कर्ष
यह अध्याय प्राथमिक क्रियाओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है, जो मानव जीवन और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन गतिविधियों की समझ से हम प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और संरक्षण के महत्व को भी समझ सकते हैं। प्राथमिक क्रियाएँ न केवल हमारी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करती हैं, बल्कि आर्थिक विकास में भी योगदान देती हैं। इनकी विस्तृत जानकारी हमें संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और टिकाऊ विकास की दिशा में अग्रसर करने में मदद करती है।