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मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र – JAC Class 12 Geography Chapter 8 Notes

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मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र: मानव भूगोल, जिसे हम सामान्यत: भूगोल की एक शाखा मानते हैं, मानव गतिविधियों और उनके पर्यावरण के बीच के अंतर्संबंध का अध्ययन करता है। यह विषय न केवल मानव समाज को समझने में सहायक है, बल्कि यह प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रभाव को भी दर्शाता है। इस लेख में हम मानव भूगोल के विभिन्न पहलुओं, विचारधाराओं और उनके अध्ययन के क्षेत्र पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भूगोल का परिचय

भूगोल का शाब्दिक अर्थ है “पृथ्वी का वर्णन”। यह विज्ञान की एक ऐसी शाखा है जो पृथ्वी के विभिन्न भौतिक और मानविक पहलुओं का अध्ययन करती है। भूगोल को ज्ञान की अन्य शाखाओं की जननी माना जाता है।

भूगोल की मुख्यतः दो शाखाएँ होती हैं:

  1. भौतिक भूगोल: जिसमें पृथ्वी की भौतिक संरचना, जलवायु, भूविज्ञान और पारिस्थितिकी का अध्ययन किया जाता है।
  2. मानव भूगोल: जो मानव समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था, और पर्यावरण के संबंधों पर केंद्रित है।

भौतिक भूगोल

भौतिक भूगोल, भूगोल की एक महत्वपूर्ण शाखा है। इसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन प्राकृतिक परिघटनाओं, जैसे भूस्खलन, जलवायु परिवर्तन, और अन्य प्राकृतिक घटनाओं के वितरण का विश्लेषण करता है। भौतिक भूगोल में कई उपशाखाएँ हैं, जैसे कि जलवायु विज्ञान, भूविज्ञान, और पारिस्थितिकी।

मानव भूगोल

मानव भूगोल मानव गतिविधियों और उनके पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन करता है। यह मानव समाज और संस्कृति के विकास को समझने में सहायक है। मानव भूगोल का विकास 19वीं शताब्दी के अंत में चार्ल्स डार्विन की “Origin of Species” के प्रकाशन के समय हुआ। इसके बाद लोगों में इस विषय की गहरी जिज्ञासा उत्पन्न हुई।

रैटजेल का दृष्टिकोण

मानव भूगोल के विकास में रैटजेल का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्हें आधुनिक मानव भूगोल का जनक माना जाता है। रैटजेल ने अपने अध्ययन में बताया कि मानव को अपने अस्तित्व के लिए अपने पर्यावरण से सहयोग की आवश्यकता होती है। उनके अनुसार, मानव केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नहीं करता, बल्कि वह अपने पर्यावरण के साथ एक जटिल संबंध में होता है।

मानव भूगोल का इतिहास

मानव भूगोल का इतिहास मानवों और उनके पर्यावरण के बीच बातचीत से शुरू होता है। प्राचीन काल में मानव समाजों के बीच बहुत कम संवाद हुआ करता था। लेकिन 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में यात्रियों के अन्वेषण ने विभिन्न संस्कृतियों के बीच बातचीत को बढ़ावा दिया। इस तरह मानव भूगोल के क्षेत्र का विस्तार हुआ और नए दृष्टिकोणों का विकास हुआ।

मानव भूगोल के प्रमुख अध्ययन क्षेत्र

मानव भूगोल में कई प्रमुख अध्ययन क्षेत्र हैं:

  1. सांस्कृतिक भूगोल: यह संस्कृति और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है।
  2. सामाजिक भूगोल: इसमें समाज की संरचना और इसके प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।
  3. आर्थिक भूगोल: यह संसाधनों के वितरण और उनके उपयोग का विश्लेषण करता है।
  4. राजनीतिक भूगोल: यह राजनीति और भूगोल के बीच संबंधों का अध्ययन करता है।
  5. नगरीय भूगोल: यह शहरों और शहरीकरण की प्रक्रियाओं का विश्लेषण करता है।

मानव भूगोल की विचारधाराएँ

मानव भूगोल में मुख्यतः तीन विचारधाराएँ पाई जाती हैं:

  1. नियतिवाद: इस दृष्टिकोण के अनुसार, मानव गतिविधियाँ प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा नियंत्रित होती हैं। रैटजेल, रिटर, और हम्बोल्ट जैसे वैज्ञानिक इस विचारधारा के समर्थक रहे हैं। नियतिवाद मानव को एक निष्क्रिय कारक के रूप में देखता है, जो पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है।
  2. संभाववाद: इस विचारधारा के अनुसार, मानव अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में सक्षम है। विडाल-डी-ला ब्लाश और लुसियन फैले इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक रहे हैं। संभववाद मानव को सक्रिय शक्ति के रूप में देखता है, जो प्राकृतिक संसाधनों का इच्छानुसार उपयोग कर सकता है।
  3. नव निश्चयवाद: यह विचारधारा न तो पूर्ण आवश्यकता की स्थिति है और न ही पूर्ण स्वतंत्रता की स्थिति। ग्रिफिथ टेलर द्वारा प्रस्तुत इस विचारधारा में मानव और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने पर जोर दिया गया है।

मानवता और पर्यावरण का संबंध

मानव भूगोल में मानवता और पर्यावरण के बीच संबंध का अध्ययन महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि कैसे तकनीकी विकास के माध्यम से मानव ने प्रकृति को संशोधित किया है। यह अध्ययन मानव के प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को समझने में भी मदद करता है।

सामाजिक-आर्थिक पहलू

मानव भूगोल का एक महत्वपूर्ण पहलू सामाजिक और आर्थिक कारक हैं। इसमें आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक चेतना जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह मानव विकास के विभिन्न आयामों को समझने में सहायक है।

मानव भूगोल का महत्व

मानव भूगोल का अध्ययन न केवल भूगोल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने में भी सहायक है। यह हमें प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियों के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है।

पर्यावरणीय निश्चयवाद

पर्यावरणीय निश्चयवाद के अनुसार, मनुष्य अपनी प्रारंभिक अवस्था में प्रकृति के अनुसार जीवन जीता था। यह दृष्टिकोण यह बताता है कि मनुष्य को अपने पर्यावरण के अनुसार ढलना पड़ता था।

नव निश्चयवाद

नव निश्चयवाद एक मध्य मार्ग प्रस्तुत करता है, जिसमें न तो पूर्ण निर्भरता की स्थिति होती है और न ही पूर्ण स्वतंत्रता की। यह मानव को पर्यावरण के नियमों का पालन करते हुए उसके संसाधनों का संतुलित उपयोग करने की सलाह देता है।

निष्कर्ष

मानव भूगोल एक महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र है, जो हमें मानव गतिविधियों और पर्यावरण के बीच जटिल संबंधों को समझने में मदद करता है। यह न केवल प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को समझने में सहायक है, बल्कि यह समाज के विकास और संस्कृति के विस्तार को भी दर्शाता है।

इस प्रकार, मानव भूगोल का अध्ययन हमें यह सिखाता है कि हम अपने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार कैसे बन सकते हैं और साथ ही मानवता के कल्याण के लिए कैसे कार्य कर सकते हैं।

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