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भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन – JAC Class 12 Sociology Part 2 Chapter 6 Notes

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भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन (Sociology Class 12 Notes): भूमंडलीकरण एक ऐसा वैश्विक प्रक्रिया है जो समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही है। यह न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर भी बदलाव ला रही है। इस अध्याय में हम समझेंगे कि कैसे भूमंडलीकरण के विभिन्न आयाम हमारे जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, विशेषकर भारत के संदर्भ में।

TextbookNCERT
ClassClass 12 Notes
SubjectSociology (समाज शास्त्र) Part-2
ChapterChapter 6
Chapter Nameभूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन
Categoryकक्षा 12 Sociology नोट्स
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Official WebsiteJAC Portal
भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन – JAC Class 12 Sociology Part 2 Chapter 6 Notes

भूमंडलीकरण: एक परिचय

परिभाषा और अर्थ

भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत विभिन्न देशों और संस्कृतियों के बीच संबंधों का विस्तार होता है। यह तकनीकी, आर्थिक, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है। इसके माध्यम से वस्त्र, खाद्य पदार्थ, विचारधाराएं और संस्कृति एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवाहित होती हैं।

प्रभाव

भूमंडलीकरण के प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं:

  1. रोजगार: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। युवा वर्ग को नए कौशल सीखने का मौका मिला है।
  2. खुदरा व्यापार: बड़े बिक्री भंडार और शॉपिंग मॉल का निर्माण हो रहा है, जो स्थानीय व्यापारियों को चुनौती दे रहे हैं।
  3. संस्कृति: युवाओं के लिए मनोरंजन के नए तरीके विकसित हो रहे हैं, जिससे उनकी जीवनशैली में बदलाव आ रहा है।
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उदाहरण

  • भारतीय मछुआरे: बड़े जहाजों द्वारा मछली पकड़ने की तकनीक ने स्थानीय मछुआरों के रोजगार को प्रभावित किया है।
  • गुजरात की महिलाएं: सूडान से गोंद के आयात के कारण उनकी आजीविका में कमी आई है।

भूमंडलीकरण का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

प्रारंभिक वर्ष

भारत ने हमेशा से वैश्विक व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिल्क रूट जैसे व्यापारिक मार्गों ने इसे विभिन्न सभ्यताओं से जोड़ा। यह मार्ग चीन, फ्रांस, मिस्र और रोम जैसी जगहों से होकर गुजरा।

उपनिवेशवाद का प्रभाव

उपनिवेशवाद ने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को और तेज किया। औपनिवेशिक शक्तियों ने कच्चे माल, ऊर्जा, और बाजार के लिए नए स्रोतों की खोज की। इसके परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में लोग अपने देश छोड़कर अन्य देशों में बसने लगे। जैसे कि गिरमिटिया मजदूर, जिन्हें भारत से बाहर विभिन्न स्थानों पर काम करने के लिए भेजा गया।

स्वतंत्रता के बाद

स्वतंत्रता के बाद, भारत ने एक भूमंडलीय दृष्टिकोण को अपनाया। कई भारतीय नागरिकों ने शिक्षा और रोजगार के लिए विदेश यात्रा की। इस प्रक्रिया में कच्चे माल और प्रौद्योगिकी का आयात-निर्यात एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।


भूमंडलीकरण के आयाम

आर्थिक आयाम

उदारीकरण की आर्थिक नीति

1991 में भारत ने आर्थिक उदारीकरण की नीतियाँ अपनाई, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार के लिए खोलना था। इसके प्रमुख पहलुओं में शामिल हैं:

  • नियमों में कमी: व्यापार को नियंत्रित करने वाले नियमों को हटाया गया।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आई.एम.एफ. जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण लेना अनिवार्य हो गया।
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पारराष्ट्रीय निगम

ये कंपनियाँ एक से अधिक देशों में अपने उत्पादों का निर्माण और विपणन करती हैं। उदाहरण के तौर पर, कोका-कोला, पैप्सी, जनरल मोटर्स, आदि। ये कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर अपने उत्पादों का प्रचार करती हैं, जिससे स्थानीय बाजार पर प्रभाव पड़ता है।

इल्कट्रोनिक अर्थव्यवस्था

इंटरनेट और कंप्यूटर के माध्यम से वैश्विक स्तर पर वित्तीय लेन-देन का संचालन हो रहा है। इससे अर्थव्यवस्था की गति तेज हुई है और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है।


सामाजिक आयाम

श्रम का भूमंडलीकरण

भूमंडलीकरण के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम विभाजन हो रहा है। कंपनियाँ अपने उत्पादन को कम लागत में करने के लिए विकासशील देशों में स्थानांतरित कर रही हैं। जैसे कि नाइके, जिसने अपने उत्पादन को दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और भारत में स्थापित किया।

फोर्डवाद और पोस्फोर्डवाद

  • फोर्डवाद: यह एक केंद्रीकृत उत्पादन प्रणाली है जिसमें बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है।
  • पोस्फोर्डवाद: इसमें उत्पादन को लचीली प्रणाली में विभाजित किया गया है, जहाँ विभिन्न स्थानों पर उत्पादन होता है।

राजनीतिक आयाम

राजनीतिक परिवर्तन

भूमंडलीकरण के साथ एक नया राजनीतिक परिदृश्य विकसित हो रहा है। समाजवादी विश्व के विघटन के कारण भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में तेजी आई है।

  • अंतरराष्ट्रीय संगठन: जैसे यूरोपीय संघ (EU) और दक्षिण एशियाई राष्ट्र संघ (SAARC), जो विभिन्न देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
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विश्व व्यापार संगठन (WTO)

यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य वैश्विक व्यापार को नियंत्रित करना और उसके नियमों का पालन कराना है। इसका मुख्यालय जिनेवा में स्थित है।


सांस्कृतिक आयाम

संस्कृति और भूमंडलीकरण

भूमंडलीकरण ने सांस्कृतिक बदलावों को जन्म दिया है। इस प्रक्रिया के कारण हमारी परंपराएँ और सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़ सकती हैं।

  • सामाजिक उपभोग: कला, फैशन, संगीत, आदि में तेजी से बदलाव आ रहा है। भारत के बड़े शहरों में मल्टीप्लेक्स और बड़े शॉपिंग मॉल का विकास हो रहा है।

सजातीय बनाम भू-स्थानीयकरण

भू-स्थानीयकरण एक ऐसा सिद्धांत है जिसमें वैश्विक संस्कृति का स्थानीय संस्कृति के साथ मिश्रण होता है। जैसे कि मैकडोनाल्ड्स ने भारतीय उपभोक्ताओं के स्वाद के अनुसार अपने मेन्यू को ढाला है।

लिंग और संस्कृति

महिलाओं पर भूमंडलीकरण का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है। कुछ लोग इसे पारंपरिक मूल्यों के लिए खतरा मानते हैं। हालांकि, भारत में लोकतांत्रिक परंपरा का सम्मान करते हुए समावेशी नीतियों का विकास किया गया है।


निष्कर्ष

भूमंडलीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जो हमारे सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक जीवन को प्रभावित करती है। यह हमें नए अवसरों के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए भी प्रेरित करती है।

यह अध्याय हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे भूमंडलीकरण के विभिन्न आयाम हमारे समाज में बदलाव लाते हैं और हमें अपने स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए जागरूक करते हैं।

इस प्रकार, भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन से हम अपने समाज के बदलते स्वरूप को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और आने वाले समय के लिए तैयारी कर सकते हैं।

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