वैश्वीकरण (Political Science Class 11 Notes): वैश्वीकरण का अर्थ है विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, विचारों, और पूंजी का मुक्त प्रवाह। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक स्तर पर मानव जीवन को प्रभावित करती है। इस अध्याय में हम वैश्वीकरण के विविध पहलुओं की गहराई से चर्चा करेंगे, इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे, और इसके वैश्विक संदर्भ में भारत की भूमिका को समझेंगे।
Textbook | NCERT |
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Class | Class 12 Notes |
Subject | Political Science (राजनीति विज्ञान) |
Chapter | Chapter 9 |
Chapter Name | वैश्वीकरण |
Category | कक्षा 12 Political Science नोट्स |
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Official Website | JAC Portal |
वैश्वीकरण की परिभाषा
वैश्वीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसमें देश और समाज एक-दूसरे के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़ते हैं। यह प्रक्रिया न केवल वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा देती है, बल्कि विचारों, तकनीकों, और संस्कृतियों का भी आदान-प्रदान करती है। वैश्वीकरण का बुनियादी तत्व ‘प्रवाह’ है, जो विभिन्न रूपों में प्रकट होता है, जैसे:
- वस्तुओं का व्यापार: देशों के बीच उत्पादों का आदान-प्रदान।
- पूंजी का प्रवाह: निवेश, वित्तीय संसाधनों और आर्थिक सहायता का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचलन।
- श्रम का प्रवास: कामकाजी व्यक्तियों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
- विचारों का आदान-प्रदान: सांस्कृतिक और शैक्षिक ज्ञान का वितरण।
वैश्वीकरण के उदाहरण
वैश्वीकरण के प्रभावों को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- भारत में विदेशी वस्तुओं की उपलब्धता: जैसे कि टेक्नोलॉजी उत्पाद, कपड़े, और खाद्य सामग्री।
- युवाओं के लिए नए करियर के अवसर: वैश्विक कंपनियों की भारत में शाखाओं के खुलने से।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेवाएं प्रदान करना: जैसे कि भारतीय पेशेवरों का अमेरिका या यूरोप में काम करना।
- किसानों की आत्महत्या: कृषि संकट के चलते कुछ किसानों द्वारा उठाए गए नकारात्मक कदम।
- खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश का डर: छोटे खुदरा व्यापारियों को विदेशी कंपनियों के आक्रमण से होने वाला खतरा।
- आर्थिक असमानता में वृद्धि: वैश्वीकरण के चलते समृद्ध और गरीब वर्गों के बीच की खाई का बढ़ना।
सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव:
- वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह: वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं को विभिन्न विकल्प उपलब्ध होते हैं।
- रोजगार के नए अवसर: नई कंपनियों और उद्योगों की स्थापना से स्थानीय श्रमिकों को काम मिलता है।
- तकनीकी और शैक्षिक आदान-प्रदान: विभिन्न देशों के बीच ज्ञान का प्रवाह।
- जीवनशैली में परिवर्तन: वैश्वीकरण से उपभोक्ताओं के जीवनशैली में बदलाव आता है।
- वैश्विक समुदाय से जुड़ाव: लोग एक-दूसरे से अधिक जुड़ते हैं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है।
नकारात्मक प्रभाव:
- लघु उद्योगों का पतन: छोटे उद्योगों की प्रतिस्पर्धा में गिरावट।
- आर्थिक असमानता में वृद्धि: अमीर और गरीब के बीच की खाई का बढ़ना।
- सांस्कृतिक पतन: पारंपरिक संस्कृतियों का ह्रास।
- विदेशी कंपनियों का वर्चस्व: स्थानीय व्यवसायों पर विदेशी निवेशकों का नियंत्रण।
वैश्वीकरण के कारण
वैश्वीकरण की प्रक्रिया के पीछे कई कारण हैं:
- उन्नत प्रौद्योगिकी: आधुनिक तकनीकों ने विभिन्न देशों के बीच संवाद और सहयोग को आसान बनाया है।
- वैश्विक जुड़ाव: इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों ने दुनिया को एक “ग्लोबल विलेज” में बदल दिया है।
- पर्यावरण की वैश्विक समस्याएँ: जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता।
वैश्वीकरण की विशेषताएँ
वैश्वीकरण की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- पूंजी, श्रम, वस्तुओं, और विचारों का मुक्त प्रवाह: यह आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के विकास को बढ़ावा देता है।
- पूंजीवादी व्यवस्था: वैश्वीकरण से मुक्त बाजार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।
- आपसी जुड़ाव और निर्भरता: विभिन्न देश एक-दूसरे पर आर्थिक और सामाजिक रूप से निर्भर होते जा रहे हैं।
- वैश्विक सहयोग: महामारी जैसे मुद्दों पर सहयोग का बढ़ता महत्व।
वैश्वीकरण की अभिव्यक्तियाँ
वैश्वीकरण की तीन मुख्य अभिव्यक्तियाँ हैं:
- राजनीतिक: वैश्वीकरण के चलते राष्ट्रीय सरकारों की शक्ति में कमी आ रही है। बाजार आर्थिक प्राथमिकताओं का निर्धारक बन गया है।
- आर्थिक: अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं (जैसे IMF, विश्व बैंक) का प्रभाव बढ़ रहा है। ये संस्थाएँ वैश्विक आर्थिक नीतियों का निर्माण कर रही हैं।
- सांस्कृतिक: पश्चिमी संस्कृतियों का प्रभाव बढ़ रहा है, जिससे सांस्कृतिक समरूपता की समस्या उत्पन्न हो रही है।
राजनीतिक प्रभाव
वैश्वीकरण का राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है:
- राज्य की क्षमता में कमी: वैश्वीकरण के कारण सरकारों की प्राथमिकताएँ बदल रही हैं, और वे कई मामलों में आर्थिक बाजार पर निर्भर हो गई हैं।
- बाजार का प्रभुत्व: अब बाजार विभिन्न सामाजिक और आर्थिक निर्णयों का निर्धारक बन गया है।
आर्थिक प्रभाव
वैश्वीकरण ने आर्थिक क्षेत्र में भी कई परिवर्तन किए हैं:
- अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का प्रभाव: IMF, विश्व बैंक, और WTO जैसी संस्थाएँ अब वैश्विक आर्थिक नीतियों को निर्धारित कर रही हैं।
- आयात प्रतिबंधों में कमी: वैश्वीकरण ने आयात को सरल बना दिया है, जिससे विभिन्न देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हुए हैं।
- विकासशील देशों की स्थिति: विकसित देशों द्वारा श्रमिकों की आवाजाही पर प्रतिबंधों के कारण विकासशील देशों को कुछ हद तक हानि हो रही है।
सांस्कृतिक प्रभाव
सांस्कृतिक स्तर पर वैश्वीकरण का प्रभाव काफी गहरा है:
- पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव: वैश्वीकरण के कारण पश्चिमी जीवनशैली और संस्कृति का प्रसार हो रहा है।
- सांस्कृतिक विकल्पों की वृद्धि: उपभोक्ताओं को विभिन्न सांस्कृतिक उत्पादों का अनुभव प्राप्त होता है।
- संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा असर: पारंपरिक संस्कृतियों का ह्रास हो रहा है।
भारत और वैश्वीकरण
भारत ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया में अपनी एक विशेष भूमिका निभाई है:
- आज़ादी के बाद की नीति: भारत ने पहले संरक्षणवादी नीति अपनाई, जिससे घरेलू उद्योगों को सुरक्षा मिली।
- 1991 की आर्थिक नीति: इस नीति के तहत भारत ने वैश्वीकरण को अपनाया और विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले।
- आर्थिक विकास: वैश्वीकरण के चलते भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5% तक पहुँच गई, जो पहले 5.5% थी।
- भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रचार: भारतीय अनिवासी विदेशों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।
- तकनीकी क्षेत्र में नेतृत्व: भारतीय सॉफ़्टवेयर पेशेवरों ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
वैश्वीकरण का विरोध
वैश्वीकरण के आलोचक इसके कई पक्षों की आलोचना करते हैं:
- राजनीतिक चिंता: वामपंथी विचारक इसे राज्य की शक्ति में कमी के रूप में देखते हैं।
- आर्थिक निर्भरता: वे कुछ क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता को बढ़ावा देने की बात करते हैं।
- सांस्कृतिक हानि: पारंपरिक संस्कृति के ह्रास और जीवन मूल्यों के क्षय को लेकर चिंतित हैं।
विश्व सामाजिक फोरम
वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) वैश्वीकरण के विरोध का एक अंतरराष्ट्रीय मंच है, जहाँ मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणविद, और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता एकत्र होते हैं।
सांस्कृतिक समरूपता और वैभिन्नीकरण
- सांस्कृतिक समरूपता: यह प्रक्रिया पश्चिमी संस्कृति के वैश्विक प्रसार को दर्शाती है, जो एक समान वैश्विक संस्कृति की ओर ले जाती है।
- सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण: विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे से सीखती हैं और अपनी विशेषताएँ बनाए रखती हैं, जिससे हर संस्कृति अनूठी बनती है।
संरक्षणवाद
संरक्षणवाद का अर्थ है घरेलू उत्पादों की रक्षा के लिए विदेशी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना। यह नीति 1991 से पहले भारत में अपनाई गई थी।
सामाजिक सुरक्षा कवच
यह उन उपायों को दर्शाता है जो सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार की सुविधाएँ प्रदान करती है।
निष्कर्ष
वैश्वीकरण एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है, जो विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को समझना आवश्यक है ताकि हम इसके लाभों का अधिकतम उपयोग कर सकें। वैश्वीकरण के संदर्भ में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है, और हमें इसके प्रभावों को संतुलित ढंग से देखना चाहिए।
इस अध्ययन से हमें वैश्वीकरण के कई पहलुओं का ज्ञान प्राप्त होता है, जो हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह आवश्यक है कि हम वैश्वीकरण को समझें और इसे अपने सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सही दिशा में उपयोग करें।