भौगिक परिपेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ (JAC Class 12 Geography Notes): इस अध्याय में हम उन समस्याओं और मुद्दों का विश्लेषण करेंगे, जो आज के वैश्विक परिदृश्य में महत्वपूर्ण हैं। इनमें पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, भू निम्नीकरण आदि शामिल हैं। ये समस्याएँ न केवल हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं, बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और समग्र पर्यावरण को भी खतरे में डालती हैं।
Textbook | NCERT |
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Class | Class 12 |
Subject | Geography (भूगोल) Part – 2 |
Chapter | Chapter 12 |
Chapter Name | भौगिक परिपेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ |
Category | कक्षा 12 Geography नोट्स |
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Official Website | JAC Portal |
पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न अवांछित तत्वों और पदार्थों के संचय को संदर्भित करता है। यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और पृथ्वी के पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ता है। प्रदूषण के विभिन्न प्रकार हैं:
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- भूमि प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
जल प्रदूषण
जल प्रदूषण का तात्पर्य जल स्रोतों में अवांछित या घातक तत्वों की उपस्थिति से है। यह न केवल पीने के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरनाक होता है। जल प्रदूषण से विभिन्न बीमारियाँ और स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
जल प्रदूषण के कारण
- मानव मल का विसर्जन: नदियों और नहरों में मानव मल का डालना जल स्रोतों को प्रदूषित करता है।
- असामान्य सीवेज प्रबंधन: सफाई और सीवर प्रबंधन की कमी के कारण जल प्रदूषण बढ़ता है।
- औद्योगिक अपशिष्ट: उद्योगों द्वारा गंदे पानी और कचरे का प्रवाह जल स्रोतों में घातक रसायनों को मिलाता है।
- कृषि रसायनों का उपयोग: कीटनाशकों और उर्वरकों का जल स्रोतों में मिश्रण, जैसे नदियों में रसायनों का प्रवाह।
- घरेलू कचरे का विसर्जन: मानव-निर्मित कचरे का जल स्रोतों में डालना, जैसे कि शवों और अन्य सामग्री का प्रवाह।
जल प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य समस्याएँ गंभीर हो सकती हैं। जैसे कि:
- पेट के रोग: दूषित जल से पेट में संक्रमण हो सकते हैं।
- जिगर की बीमारियाँ: रासायनिक तत्वों के कारण जिगर पर बुरा प्रभाव।
- त्वचा संबंधी समस्याएँ: दूषित जल से त्वचा पर रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब हवा में अवांछित गैसें, धूल और अन्य कण होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं।
वायु प्रदूषण के कारण
- वाहनों का धुआँ: कारों, ट्रकों और अन्य परिवहन के साधनों से निकलने वाला धुआँ।
- औद्योगिक उत्सर्जन: उद्योगों से निकलने वाले धुएँ और रसायनों का उत्सर्जन।
- जंगलों में आग: वन क्षेत्रों में आग लगने से निकलने वाला धुआँ जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
- ज्वालामुखी विस्फोट: प्राकृतिक घटनाएँ भी वायु प्रदूषण का कारण बन सकती हैं, जैसे कि ज्वालामुखी विस्फोट।
वायु प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य समस्याएँ:
- अस्थमा: वायु में प्रदूषकों की उपस्थिति से श्वसन समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- दिल की बीमारियाँ: प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से हृदय संबंधी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
- फेफड़ों के रोग: प्रदूषण के कारण फेफड़ों में संक्रमण और अन्य समस्याएँ हो सकती हैं।
भूमि प्रदूषण
भूमि प्रदूषण का अर्थ है ज़मीन में अवांछित और हानिकारक पदार्थों का फैलाव। यह मिट्टी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और कृषि उत्पादकता को कम कर देता है।
भूमि प्रदूषण के कारण
- अधिक रासायनिक उपयोग: खेती में रसायनों और उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग भूमि को नुकसान पहुँचाता है।
- औद्योगिक कचरा: उद्योगों द्वारा निकाले गए ठोस अपशिष्ट का विसर्जन भूमि प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।
- प्लास्टिक कचरा: प्लास्टिक की वस्तुएँ जो भूमि में सड़ती नहीं हैं, मिट्टी को प्रदूषित करती हैं।
- नागरिक अपशिष्ट: घरों और औद्योगिक इकाइयों से निकले अवशिष्ट पदार्थों का निपटान भूमि प्रदूषण को बढ़ाता है।
भूमि प्रदूषण से होने वाले प्रभाव:
- मिट्टी की गुणवत्ता में कमी: मिट्टी की उपजाऊता घट जाती है।
- जल स्रोतों का प्रदूषण: भूमि से निकलने वाले रसायनों का जल स्रोतों में समावेश।
- पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन: भूमि प्रदूषण से पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन उत्पन्न होता है।
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण का मतलब है अत्यधिक और असहनीय ध्वनि का उत्सर्जन, जो लोगों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण
- लाउडस्पीकर का उपयोग: त्योहारों, चुनाव प्रचार आदि में लाउडस्पीकर का अनियंत्रित प्रयोग।
- वाहनों का शोर: वाहनों के इंजन और हार्न से उत्पन्न ध्वनि।
- औद्योगिक मशीनरी: उद्योगों में मशीनों और उपकरणों से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण।
ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव:
- तनाव: अत्यधिक शोर से मानसिक तनाव और चिंता बढ़ती है।
- सुनने की क्षमता में कमी: लगातार शोर exposure से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
- नींद की समस्या: शोर के कारण नींद में बाधा उत्पन्न होती है।
अम्लीय वर्षा
अम्लीय वर्षा उस स्थिति को कहते हैं जब वायुमंडल में अवांछित तत्व वर्षा के जल में मिश्रित हो जाते हैं, जिससे पानी अम्लीय हो जाता है। यह जल और भूमि दोनों को नुकसान पहुँचाती है।
अम्लीय वर्षा के प्रभाव
- जल स्रोतों का प्रदूषण: अम्लीय वर्षा से जल की गुणवत्ता घटती है।
- मिट्टी की अम्लता: भूमि की अम्लता बढ़ जाती है, जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित होता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: वनस्पतियों और जीव-जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव।
धूम्र कोहरा
धूम्र कोहरा तब बनता है जब धुआँ और धूल के कण सामान्य कोहरे के साथ मिल जाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होता है।
धूम्र कोहरे के प्रभाव
- श्वसन समस्याएँ: धूम्र कोहरा श्वसन संबंधी समस्याएँ पैदा करता है।
- दृष्टि में कमी: दृश्यता कम हो जाती है, जिससे सड़क पर दुर्घटनाएँ बढ़ सकती हैं।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: नियमित संपर्क से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
नगरीय अपशिष्ट निपटान
तेजी से बढ़ती जनसंख्या और संसाधनों की कमी के कारण, नगरों में अपशिष्ट प्रबंधन एक गंभीर समस्या बन गई है।
नगरों में प्रमुख समस्याएँ
- अपशिष्ट का पृथककरण: सभी प्रकार के ठोस अपशिष्ट को एकत्रित करने की प्रक्रिया में कठिनाई।
- भराव स्थल की कमी: महानगरों में कूड़ा डालने के लिए पर्याप्त स्थान का अभाव।
- पुनर्चक्रण की समस्या: अपशिष्ट का पुनर्चक्रण न होना और जागरूकता की कमी।
विकासशील देशों की समस्याएँ
विकासशील देशों में निम्नलिखित प्रमुख समस्याएँ हैं:
- अवशिष्ट निपटान की समस्या: उचित निपटान के अभाव में कचरा बढ़ रहा है।
- जनसंख्या विस्फोट: बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों का अत्यधिक दोहन।
- स्लम बस्तियों की समस्या: अवैध और अस्वस्थ आवासों में रहने वाले लोगों की बढ़ती संख्या।
गंदी बस्तियों की समस्याएँ
गंदी बस्तियों में रहने वाले लोग अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों से आकर काम की तलाश में आते हैं। यहाँ पर आवास की गुणवत्ता
कम होती है, और ये लोग स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित होते हैं।
भू-निम्नीकरण
भू-निम्नीकरण का अर्थ है भूमि की उत्पादकता में कमी आना। यह अल्पकालिक या दीर्घकालिक हो सकता है।
भू-निम्नीकरण के कारण
- अति सिंचाई: इससे मिट्टी में लवणीयता बढ़ जाती है, जो कृषि उत्पादकता को प्रभावित करता है।
- औद्योगिक अपशिष्ट: उद्योगों द्वारा प्रदूषित जल का सिंचाई में प्रयोग।
- नगरीय अपशिष्ट: नगरों से निकला कूड़ा भूमि को नुकसान पहुँचाता है।
- अम्लीय वर्षा: इससे मिट्टी की अम्लता बढ़ जाती है।
भू-निम्नीकरण को रोकने के उपाय
- रासायनिक उर्वरकों का उचित प्रयोग।
- नगरों से निकले गंदे पानी का उपचार।
- वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।
जलाशयों का प्रदूषण
जलाशयों को विभिन्न प्रकार के प्रदूषक जैसे औद्योगिक कचरा, जहरीली गैसें, और भारी धातुओं से प्रदूषित करते हैं।
प्रदूषण का परिणाम
- जलाशयों में रासायनिक तत्वों का संग्रहण।
- स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव।
- पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन।
निवारक उपाय
इन सभी समस्याओं का समाधान केवल जागरूकता और सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।
- शिक्षा और जागरूकता: लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।
- सभी स्तरों पर नीतियों का निर्माण: सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
- प्रदूषण नियंत्रण: उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग: अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना।
- सकारात्मक परिवर्तन: व्यक्तिगत स्तर पर छोटे कदम जैसे कि कागज का पुनर्चक्रण, प्लास्टिक का कम उपयोग आदि।
निष्कर्ष
उपर्युक्त मुद्दों और समस्याओं का विस्तृत अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे मानव गतिविधियाँ पर्यावरण पर प्रभाव डालती हैं। यह ज्ञान न केवल छात्रों के लिए, बल्कि सभी नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि हम एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण के लिए जागरूकता बढ़ा सकें। पर्यावरण की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है, और इसके लिए हमें सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
अंततः, इस अध्याय में वर्णित मुद्दों पर ध्यान देकर और उन्हें हल करने के लिए ठोस कदम उठाकर, हम एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं। यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्य करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरा-भरा ग्रह छोड़ें।