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परिवहन तथा संचार – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 10 Notes

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परिवहन तथा संचार (JAC Class 12 Geography Notes): परिवहन का अर्थ है वस्तुओं और व्यक्तियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना। यह आधुनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जो व्यापार, यात्रा और विभिन्न दैनिक क्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectGeography (भूगोल) Part – 2
ChapterChapter 10
Chapter Nameपरिवहन तथा संचार
Categoryकक्षा 12 Geography नोट्स
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Official WebsiteJAC Portal
परिवहन तथा संचार – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 10 Notes

परिवहन का परिचय

परिवहन का अर्थ है वस्तुओं और व्यक्तियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना। यह मानव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जो व्यापार, यात्रा, और विभिन्न दैनिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक युग में, परिवहन केवल आवश्यक नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास, सामाजिक समृद्धि और वैश्विक संवाद का माध्यम भी है।

परिवहन के साधन

परिवहन के कई साधन हैं, जिन्हें मुख्यतः निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. स्थलीय परिवहन:
  • सड़क: सड़कें छोटे और मध्यम दूरी के यात्रा के लिए सर्वोत्तम हैं।
  • रेलवे: यह बड़े पैमाने पर माल और यात्रियों के परिवहन के लिए प्रभावी है।
  • पाइपलाइन: तरल और गैसीय पदार्थों के परिवहन के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
  1. जल परिवहन:
  • महासागरीय जल परिवहन: महासागरों के माध्यम से किया जाता है।
  • अंतस्थलीय जल परिवहन: नदियों और झीलों का उपयोग करके किया जाता है।
  1. वायु परिवहन:
  • राष्ट्रीय: घरेलू उड़ानें।
  • अंतर्राष्ट्रीय: विदेशों के लिए उड़ानें।

भारत में भूमि परिवहन का विकास

भारत में सड़क परिवहन का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल से, विभिन्न मार्गों का उपयोग वस्तुओं और लोगों के परिवहन के लिए किया जाता रहा है। आधुनिक समय में, भारत का सड़क नेटवर्क लगभग 54.8 लाख किलोमीटर लंबा है, जो इसे विश्व में सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क बनाता है।

सड़क परिवहन की विशेषताएँ

  • प्रमुखता: भारत में सड़क परिवहन यातायात का एक बड़ा हिस्सा संभालता है। लगभग 85% यात्रियों और 70% माल का परिवहन सड़क के माध्यम से होता है।
  • विकास की योजनाएँ: 1943 में “नागपुर योजना” से सड़क नेटवर्क में सुधार का प्रयास किया गया था। 1961 में “बीस साल की सड़क योजना” के तहत और सुधारों की कोशिश की गई थी।
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परिवहन जाल

परिवहन जाल विभिन्न स्थानों को जोड़ने के लिए मार्गों का एक नेटवर्क है। यह जाल सड़क, रेलवे और जल मार्गों के माध्यम से बनता है, जिससे यात्रा और माल परिवहन की सुविधा बढ़ती है।

सड़क के प्रकार

भारत में सड़कें विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत की जाती हैं:

  1. सीमावर्ती सड़कें: ये सीमा सड़क संगठन के अंतर्गत आती हैं और देश के उत्तरी तथा उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण हैं।
  2. अंतर्राष्ट्रीय महामार्ग: ये पड़ोसी देशों से संबंध स्थापित करने के लिए विकसित की गई हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग

  • राष्ट्रीय राजमार्ग वे सड़कें हैं जो केंद्र सरकार द्वारा निर्मित और अनुरक्षित होती हैं। ये सड़कें विभिन्न राज्यों की राजधानियों और महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ती हैं।
  • 2008-09 में इनकी कुल लंबाई 70934 किमी थी, जो कुल सड़क लंबाई का केवल 1.67% है, लेकिन ये लगभग 40% सड़क यातायात का संचालन करती हैं।

राष्ट्रीय महामार्ग विकास परियोजनाएँ

  1. स्वर्णिम चतुर्भुज: चार प्रमुख महानगरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता) को जोड़ने वाली 5846 किमी लंबी परियोजना।
  2. उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारे: जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर से तमिलनाडु के कन्याकुमारी और असम में सिलचर से गुजरात में पोरबंदर तक की सड़कों का विकास।

राज्य राजमार्ग और जिला सड़कें

  • राज्य राजमार्ग: ये राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ी होती हैं और जिला मुख्यालयों को जोड़ती हैं। इनकी हिस्सेदारी कुल सड़क लंबाई का लगभग 4% है।
  • जिला सड़कें: ये सड़कें जिला मुख्यालय और जिले के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ती हैं, और इनकी हिस्सेदारी देश की कुल सड़क लंबाई का 60.83% है।
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ग्रामीण सड़कें

  • ग्रामीण सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क प्रदान करती हैं और भारत में सड़क की कुल लंबाई का लगभग 33.86% हैं। ये सड़कें ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सीमा सड़क संगठन

1960 में स्थापित सीमा सड़क संगठन का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास और रक्षा तैयारियों को मजबूत करना है। इसने चंडीगढ़ से मनाली और लेह तक की सड़कें बनाई हैं, जो अति ऊँचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं।

सड़क घनत्व

भारत में सड़क घनत्व का वितरण समान नहीं है। सड़क घनत्व का मतलब है प्रति 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सड़कों की लंबाई। राष्ट्रीय औसत सड़क घनत्व 125.02 किमी है (2008)।

सड़क घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक

  1. भूभाग की प्रकृति: मैदानी क्षेत्रों में सड़कें बनाना आसान होता है, जबकि पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में यह कठिन और महंगा होता है।
  2. आर्थिक विकास: जिन क्षेत्रों का आर्थिक विकास अच्छा होता है, वहाँ सड़क घनत्व भी अधिक होता है।
  3. सरकार की इच्छाशक्ति: सरकार की प्राथमिकताएँ और निवेश सड़क घनत्व को प्रभावित करते हैं।

रेल परिवहन का महत्व

भारतीय रेल की स्थापना 1853 में हुई थी। आज, इसका जाल 66030 किमी लंबा है और इसे 16 मंडलों में विभाजित किया गया है। भारतीय रेल सरकार का सबसे बड़ा उद्यम है।

भारतीय रेल के वर्ग

  1. बड़ी लाइन (Broad Gauge): 1.616 मीटर चौड़ी।
  2. मीटर लाइन (Meter Gauge): 1 मीटर चौड़ी।
  3. छोटी लाइन (Narrow Gauge): 0.762 मीटर या 0.610 मीटर चौड़ी।

भारतीय कोंकण रेलवे

  • यह रेलवे मार्ग रोहा (महाराष्ट्र) को कर्नाटक के मंगलौर से जोड़ता है। इसकी लंबाई 760 किमी है और यह 146 नदियों, धाराओं, 2000 पुलों और 91 सुरंगों को पार करता है।

भारतीय रेल की चुनौतियाँ

  1. मरूस्थलीय क्षेत्रों में रेत के टिब्बे।
  2. पहाड़ी क्षेत्रों में पुलों का निर्माण महंगा।
  3. पुराना संरचनात्मक ढांचा।

देश की प्रगति में रेलवे का योगदान

भारतीय रेल का आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। यह कोयला, कच्चे माल, और तैयार माल को विभिन्न बाजारों तक पहुँचाने में सहायक है।

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जल परिवहन

जल परिवहन भारी और महंगी सामग्री के परिवहन के लिए सबसे सस्ता साधन है। इसे दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:

  1. अंतस्थलीय जल परिवहन: नदियों और झीलों के माध्यम से।
  2. महासागरीय जल परिवहन: समुद्रों और महासागरों के माध्यम से।

वायु परिवहन

वायु परिवहन माल और यात्रियों के लिए सबसे तेज़ साधन है। भारत में इसकी शुरुआत 1911 में हुई। आज भारत में 11 अंतरराष्ट्रीय, 86 घरेलू और 29 सिविल एन्क्लेव सहित कुल 126 हवाई अड्डे हैं।

मुक्त आकाश नीति

1992 में शुरू की गई इस नीति का उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को सहायता प्रदान करना है। इसके अंतर्गत विदेशी निर्यातक देश में माल लाने के लिए स्वतंत्र हैं।

तेल और गैस पाइपलाइन

पाइपलाइन तरल पदार्थों और गैसों के परिवहन के लिए सबसे कुशल और आर्थिक साधन हैं। ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन और परिवहन के लिए जिम्मेदार है।

पाइपलाइन परिवहन की विशेषताएँ

  • किसी भी प्रकार की जलवायु में बिछाई जा सकती है।
  • लंबे समय तक उपयोग करने पर सस्ती होती है।
  • प्रदूषण नहीं करती।

संचार के साधन

संचार के साधनों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. वैयक्तिक संचार: पत्र, टेलीफोन, फैक्स, ई-मेल।
  2. सार्वजनिक संचार: रेडियो, टेलीविज़न, समाचार पत्र, उपग्रह, पुस्तकें।

भारत में उपग्रह संचार

भारत ने आर्यभट्ट जैसे उपग्रह विकसित किए, जो संचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये उपग्रह लंबी दूरी के संचार और मौसम पूर्वानुमान के लिए उपयोगी हैं।


ये नोट्स कक्षा 12 के भूगोल के छात्रों के लिए परिवहन और संचार के प्रमुख पहलुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं। इन बिंदुओं के माध्यम से, छात्रों को विभिन्न परिवहन माध्यमों, उनकी विशेषताओं, समस्याओं और भारत में उनके महत्व को समझने में मदद मिलेगी।

अध्ययन के इस अध्याय के माध्यम से, छात्र परिवहन और संचार के अंतर्संबंध को भी बेहतर समझ सकेंगे, जो उन्हें भूगोल के इस महत्वपूर्ण विषय में उत्कृष्टता प्राप्त करने में सहायता करेगा।

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