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जनसंपर्क साधन और जनसंचार – JAC Class 12 Sociology Part 2 Chapter 7 Notes

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जनसंपर्क साधन और जनसंचार (Sociology Class 12 Notes): जनसंपर्क साधन और जनसंचार का अध्ययन हमारे समाज में मीडिया की भूमिका को समझने में महत्वपूर्ण है। यह विषय केवल जानकारी का संचार करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज के विकास, सांस्कृतिक परिवर्तन, और राजनीतिक चेतना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अध्याय में हम विभिन्न जनसंपर्क साधनों, उनके विकास, और समाज पर उनके प्रभाव पर चर्चा करेंगे।

TextbookNCERT
ClassClass 12 Notes
SubjectSociology (समाज शास्त्र) Part-2
ChapterChapter 7
Chapter Nameजनसंपर्क साधन और जनसंचार
Categoryकक्षा 12 Sociology नोट्स
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Official WebsiteJAC Portal
जनसंपर्क साधन और जनसंचार – JAC Class 12 Sociology Part 2 Chapter 7 Notes


मास मीडिया: एक परिचय

मास मीडिया, जिसे जन संपर्क के साधनों के रूप में भी जाना जाता है, का तात्पर्य उन माध्यमों से है जो व्यापक जनसंख्या तक जानकारी पहुँचाते हैं। इसमें टेलीविजन, समाचार पत्र, फिल्में, रेडियो, विज्ञापन, और सीडी शामिल हैं। इन साधनों का प्रभाव समाज के हर वर्ग पर पड़ता है और उनके द्वारा प्रसारित सूचनाएँ कई बार हमारे विचारों और दृष्टिकोण को प्रभावित करती हैं।

मास मीडिया का महत्व

मास मीडिया का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह जनसंचार का एक तेज़ और प्रभावी साधन है। यह न केवल सूचनाएँ प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने, शिक्षा देने, और मनोरंजन करने का कार्य भी करता है। इसके अलावा, यह राजनीतिक विचारों और सामाजिक आंदोलनों को भी प्रभावित करता है।


आधुनिक मास मीडिया का प्रारंभ

आधुनिक मास मीडिया का विकास प्रिंटिंग प्रेस की खोज के साथ हुआ। जोहान गुटनबर्ग द्वारा 1440 में विकसित की गई प्रिंटिंग तकनीक ने समाचार पत्रों और पुस्तकों के उत्पादन को सरल बना दिया।

प्रिंटिंग प्रेस का प्रभाव

प्रिंटिंग प्रेस के माध्यम से विचारों का प्रसार तेजी से हुआ। औद्योगिक क्रांति के साथ, समाचार पत्रों का उदय हुआ, और लोगों ने अपनी बात रखने के लिए एक नया मंच पाया। इससे ‘हम की भावना’ विकसित हुई, जिससे राष्ट्रवाद को भी बल मिला।


औपनिवेशिक काल में मास मीडिया

भारतीय राष्ट्रवाद का विकास औपनिवेशिक काल में विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। राष्ट्रवादी विचारों को फैलाने में प्रेस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी।

राष्ट्रवादी प्रेस

औपनिवेशिक सरकार के उत्पीड़क उपायों का विरोध करने वाली प्रेस ने उपनिवेश विरोधी जनमत जागृत किया। पत्रिकाएँ जैसे ‘केसरी’ और ‘मातृभूमि’ ने स्वतंत्रता संग्राम को गति दी।

रेडियो का नियंत्रण

रेडियो, जो उस समय सरकार के नियंत्रण में था, पर राष्ट्रीय विचारों को व्यक्त करने पर रोक थी। लेकिन इसके बावजूद, रेडियो ने एक महत्वपूर्ण संचार माध्यम के रूप में काम किया।


स्वतंत्र भारत में मास मीडिया

स्वतंत्रता के बाद, भारतीय समाज में मीडिया की भूमिका को एक नई दिशा मिली। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मीडिया को “लोकतंत्र के पहरेदार” का दर्जा दिया।

लोकतंत्र में मीडिया का योगदान

नेहरू का मानना था कि मीडिया को लोगों में राष्ट्र विकास और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। इसके अलावा, इसे सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी लड़ाई लड़नी थी।


मनोरंजन क्रांति

सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांति के कारण मनोरंजन के क्षेत्र में भी बड़े बदलाव आए। टेलीविजन, कंप्यूटर, और इंटरनेट ने लोगों के मनोरंजन के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।

टेलीविजन का उदय

1959 में टेलीविजन की शुरुआत हुई, जो मुख्यतः ग्रामीण विकास के उद्देश्य से की गई थी। 1975-76 में उपग्रह के माध्यम से सामुदायिक शिक्षा का कार्यक्रम शुरू किया गया।

सोप ओपेरा का प्रभाव

सोप ओपेरा जैसे धारावाहिकों ने लोगों के मन में विशेष स्थान बनाया। कार्यक्रम जैसे “हम लोग” और “बुनियाद” ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डाला।


मीडिया के प्रकार

मीडिया को मुख्य रूप से दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रेडियो और टेलीविजन शामिल हैं। इन माध्यमों ने सूचना प्रसारण के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।

  • रेडियो: 1920 में रेडियो की शुरुआत हुई, और यह किसानों को नई तकनीकों से अवगत कराने का एक प्रमुख साधन बना।
  • टेलीविजन: 1959 में टेलीविजन की शुरुआत ने ग्रामीण विकास के लिए एक नया मंच प्रदान किया।

प्रिंट मीडिया

प्रिंट मीडिया, जिसमें समाचार पत्र और पत्रिकाएँ शामिल हैं, का विकास सामाजिक आंदोलनों और राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण रहा है।


7. भूमंडलीकरण और मीडिया

1970 के दशक के बाद, भूमंडलीकरण ने मीडिया के स्वरूप को बदल दिया। नई प्रौद्योगिकियाँ और बाजार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रभाव डाला है।

प्रौद्योगिकी का विकास

नई प्रौद्योगिकियों के आगमन ने समाचार पत्रों के उत्पादन और प्रसार को आसान बना दिया। भारतीय भाषाओं में समाचार पत्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।

टेलीविजन का विस्तार

1991 में भारत में केवल एक ही राज्य नियंत्रित टीवी चैनल था। लेकिन अब अनेक निजी चैनल भी बाजार में उपलब्ध हैं।


शिक्षा में जनसंचार का योगदान

जनसंचार साधनों का शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान है।

शैक्षिक कार्यक्रम

यूजीसी ने दिल्ली दूरदर्शन पर शैक्षिक कार्यक्रम चलाए, जिससे बच्चों और युवाओं को जानकारी मिली। इसके अलावा, कई अन्य शैक्षिक चैनल जैसे डिस्कवरी चैनल और हिस्ट्री चैनल भी कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।

समाचार पत्रों की भूमिका

समाचार पत्र और पत्रिकाएँ बच्चों के ज्ञान को बढ़ाने में सहायक होती हैं। ये साधन न केवल जानकारी देते हैं, बल्कि सामयिक मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित भी करते हैं।


निष्कर्ष

जनसंपर्क साधन और जनसंचार का अध्ययन हमारे समाज में मीडिया की भूमिका को समझने में महत्वपूर्ण है। ये साधन न केवल सूचना का संचार करते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को भी प्रभावित करते हैं। मीडिया के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान होता है, जो समाज में जागरूकता और परिवर्तन लाने का कार्य करता है। इस प्रकार, जनसंचार का क्षेत्र समाज के विकास में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, और इसके विभिन्न साधनों का उचित उपयोग समाज को नई दिशा प्रदान कर सकता है।

इस अध्याय में हमने मास मीडिया, उसके विकास, और समाज पर उसके प्रभावों की विस्तृत चर्चा की। इस अध्ययन से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे मीडिया हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है और यह हमारे विचारों, मूल्यों, और सांस्कृतिक पहचान को आकार देता है।

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