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सांस्कृतिक परिवर्तन – JAC Class 12 Sociology Part 2 Chapter 2 Notes

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सांस्कृतिक परिवर्तन (Sociology Class 12 Notes): सांस्कृतिक परिवर्तन समाज में महत्वपूर्ण बदलावों का परिचायक है, जो समय के साथ होते हैं। ये परिवर्तन विभिन्न कारकों द्वारा प्रेरित होते हैं, जैसे कि आर्थिक विकास, सामाजिक सुधार, औद्योगीकरण और वैश्वीकरण। इस अध्याय में हम संस्कृति, सांस्कृतिक परिवर्तन, समाज सुधारक, समाज कल्याण, संस्कृतिकरण, आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

TextbookNCERT
ClassClass 12 Notes
SubjectSociology (समाज शास्त्र) Part-2
ChapterChapter 2
Chapter Nameसांस्कृतिक परिवर्तन
Categoryकक्षा 12 Sociology नोट्स
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Official WebsiteJAC Portal
सांस्कृतिक परिवर्तन – JAC Class 12 Sociology Part 2 Chapter 2 Notes

संस्कृति

संस्कृति का अर्थ है मानव द्वारा अर्जित ज्ञान, विचार, परंपराएँ और भौतिक वस्तुओं का एक समग्र संग्रह। यह केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचारों, मान्यताओं, मानदंडों, और परंपराओं का एक जटिल ताना-बाना है। संस्कृति एक सीखा हुआ व्यवहार है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होता है। यह समाज की पहचान बनाती है और उसमें निहित मूल्यों को व्यक्त करती है।

सांस्कृतिक परिवर्तन

जब किसी समाज या देश की संस्कृति में परिवर्तन होता है, तो इसे सांस्कृतिक परिवर्तन कहा जाता है। यह परिवर्तन धीरे-धीरे या तात्कालिक रूप से हो सकता है और इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि तकनीकी प्रगति, सामाजिक आंदोलन, और आर्थिक बदलाव। सांस्कृतिक परिवर्तन समाज के समग्र विकास को दर्शाता है और इसे समाज के सदस्यों के बीच विभिन्न तरीकों से स्वीकार किया जा सकता है।

सांस्कृतिक परिवर्तन के प्रकार

सांस्कृतिक परिवर्तन को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • आंतरिक परिवर्तन: यह परिवर्तन समाज के भीतर की प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है, जैसे कि शिक्षा, तकनीकी विकास और सामाजिक आंदोलन।
  • बाह्य परिवर्तन: जब किसी समाज पर बाहरी प्रभाव पड़ता है, जैसे कि उपनिवेशीकरण, वैश्वीकरण, या अन्य संस्कृतियों का प्रभाव।

समाज सुधारक

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कई समाज सुधारक सामने आए, जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास किया। इन सुधारकों का उद्देश्य महिलाओं और दलितों के जीवन में बदलाव लाना, सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन करना, और शिक्षा का प्रसार करना था। राजा राम मोहन राय, ज्योतिबा फुले, सर सैयद अहमद खान, और विद्यासागर जैसे सुधारक इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए।

समाज कल्याण के उद्देश्य

समाज कल्याण का मुख्य उद्देश्य समाज के सदस्यों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना है। इसके दो प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:

  1. आवश्यकताओं की पूर्ति: समाज के सदस्यों की भौतिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करना।
  2. सामाजिक संबंध स्थापित करना: लोगों को अपनी क्षमताओं के विकास में सक्षम बनाना और सामाजिक संबंधों को मजबूत करना।

समाज सुधार आंदोलन

19वीं और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में, समाज सुधार आंदोलन कई सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उठे। जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, और जाति प्रथा के खिलाफ राजा राम मोहन राय और अन्य सुधारकों ने महत्वपूर्ण कार्य किए। समाज सुधार आंदोलन का उद्देश्य भारतीय समाज में व्याप्त असमानताओं और कुरीतियों को खत्म करना था।

प्रमुख समाज सुधारक

  • राजा राम मोहन राय: सती प्रथा का विरोध किया और महिलाओं की शिक्षा का समर्थन किया।
  • ज्योतिबा फुले: जाति भेदभाव और महिला शिक्षा के पक्ष में काम किया।
  • सर सैयद अहमद खान: मुस्लिम समाज में शिक्षा का प्रचार किया और स्वतंत्र अन्वेषण का समर्थन किया।

आधुनिक संचार और परिवहन

ब्रिटिश शासन के दौरान संचार और परिवहन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। रेलवे, डाक प्रणाली और अन्य माध्यमों ने सूचना और वस्तुओं के आवागमन को सरल बनाया। इससे स्वतंत्रता संग्राम में भी सहायता मिली, क्योंकि लोग देश भर में एक-दूसरे से जुड़ सके। यह परिवहन न केवल आर्थिक विकास में सहायक रहा, बल्कि सामाजिक आंदोलनों को भी गति दी।

संचार के माध्यम

  • प्रेस: समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने विचारों के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • रेलवे: इसने लोगों के आवागमन को सरल बनाया और विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।

सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रियाएँ

सांस्कृतिक परिवर्तन को चार प्रमुख प्रक्रियाओं में बांटा जा सकता है:

  1. संस्कृतिकरण: निम्न जातियों का उच्च जातियों की सांस्कृतिक जीवनशैली अपनाना।
  2. आधुनिकीकरण: प्रौद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं में सुधार।
  3. लोकिकीकरण: स्थानीय सांस्कृतिक तत्वों का संवर्धन।
  4. पश्चिमीकरण: पश्चिमी विचारधारा और जीवनशैली का अपनाना।

संस्कृतिकरण

संस्कृतिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निम्न जातियाँ उच्च जातियों के सांस्कृतिक तत्वों को अपनाती हैं। इसके प्रभाव भाषा, साहित्य, विचारधारा, और जीवनशैली में देखे जा सकते हैं। यह प्रक्रिया विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में होती है।

विसंस्कृतिकण

जब गैर-सांस्कृतिक जातियाँ प्रभुत्वशाली होती हैं, तो उनके प्रभाव में निम्न जातियाँ अपनी संस्कृति को खोने लगती हैं। इसे विसंस्कृतिकण कहा जाता है।

पश्चिमीकरण

पश्चिमीकरण का अर्थ है ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय समाज में आए प्रौद्योगिकी, संस्थाएँ, और मूल्य परिवर्तनों का प्रभाव। यह भारतीय कला, साहित्य और जीवनशैली को प्रभावित करता है।

पश्चिमीकरण की विशेषताएँ

  • सामाजिक बदलाव: यह विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है, जैसे परिवार संरचना, विवाह, और जाति प्रथा।
  • आधुनिक वस्त्र और खान-पान: पश्चिमी जीवनशैली के अंगों का अपनाना, जैसे नए उपकरण, पोशाक, और खान-पान की आदतें।

आधुनिकीकरण

आधुनिकीकरण का अर्थ है प्रौद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं में सुधार। यह वैश्विक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है और स्थानीय दृष्टिकोण को कमजोर करता है। आधुनिकीकरण का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना है।

आधुनिकीकरण की प्रक्रिया

आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में निम्नलिखित पहलू शामिल हैं:

  • शिक्षा का प्रसार: आधुनिक शिक्षा प्रणाली के माध्यम से लोगों में जागरूकता बढ़ाना।
  • तकनीकी विकास: नए उपकरण और तकनीकों का अपनाना।

धर्मनिरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है सभी धार्मिक समूहों को समान समझना। राज्य धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता है और सभी को अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने की स्वतंत्रता देता है।

धर्मनिरपेक्षता के कारण

  • भारतीय संस्कृति: जिसमें सभी धर्मों को समान महत्व दिया गया है।
  • आधुनिक शिक्षा: जिसने तर्क और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।

निष्कर्ष

सांस्कृतिक परिवर्तन एक जटिल प्रक्रिया है, जो समाज के विकास और बदलाव का परिचायक है। यह विभिन्न कारकों द्वारा संचालित होता है और समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। समाज सुधारक, आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण, और धर्मनिरपेक्षता जैसे तत्व सांस्कृतिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन पहलुओं का अध्ययन करके हम अपने समाज की संरचना और उसकी गतिशीलता को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

यह अध्ययन न केवल हमारे अतीत को समझने में सहायक है, बल्कि भविष्य में आने वाले सामाजिक परिवर्तन को भी समझने में मदद करता है। समाज का हर सदस्य इस सांस्कृतिक परिवर्तन का हिस्सा है, और यह हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है।

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