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विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ – JAC Class 12 Home Science Chapter 9 Notes

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विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ (Home Science Class 12 Notes): विशेष शिक्षा उन बच्चों के लिए समर्पित शैक्षिक प्रावधान है जिनमें एक या एक से अधिक अपंगताएँ होती हैं। इन बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताएँ (विशेष आवश्यकताएँ, या एस.ई.एन.) अन्य सामान्य बच्चों से भिन्न होती हैं। विशेष शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को विभिन्न वातावरणों— जैसे कि कक्षा, घर, या समुदाय में—उनकी क्षमता के अनुसार शिक्षा प्रदान करना है।

TextbookNCERT
ClassClass 12 Notes
SubjectHome Science (गृह विज्ञान)
ChapterChapter 9
Chapter Nameविशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ
Categoryकक्षा 12 Home Science नोट्स
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Official WebsiteJAC Portal
विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ –  JAC Class 12 Home Science Chapter 9 Notes

विशेष शिक्षा की अवधारणा

विशेष शिक्षा का मुख्य उद्देश्य उन बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करना है, जिन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता होती है। यह शिक्षा उन बच्चों के लिए डिजाइन की गई है जिनमें एक या एक से अधिक प्रकार की अपंगताएँ होती हैं। विशेष शिक्षा के अंतर्गत उन सभी व्यवस्थाओं को शामिल किया जाता है, जिनका उद्देश्य बच्चों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचाने में मदद करना है। इसमें शिक्षा की विधियाँ, संसाधन, और विशेष शिक्षक शामिल होते हैं, जो बच्चों के व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित शिक्षा प्रदान करते हैं।

विशेष शिक्षक की भूमिका

विशेष शिक्षा में विशेष शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान है। ये शिक्षक विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए पाठ्यक्रम को अनुकूलित करते हैं। विशेष शिक्षक को न केवल बच्चों को पढ़ाने का ज्ञान होना चाहिए, बल्कि उन्हें बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं और उनकी व्यक्तिगत चुनौतियों को समझने की भी आवश्यकता होती है। विशेष शिक्षा में करियर बनाने का निर्णय लेने वाले व्यक्तियों को इसके तकनीकी और संवेदनशील पहलुओं का ज्ञान होना चाहिए।

विशेष शिक्षा की आवश्यकता

कई बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें चलने, बोलने, या सामाजिक संपर्क में कठिनाई होती है। इन बच्चों को सामान्य कक्षाओं में पढ़ने में कठिनाई हो सकती है, इसलिए उन्हें विशेष शिक्षा की आवश्यकता होती है। विशेष शिक्षा की विधियाँ इन बच्चों को उनके ज्ञान और कौशल को बढ़ाने में मदद करती हैं, जिससे वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकें। इसके साथ ही, यह आवश्यक है कि विशेष शिक्षक इन बच्चों को उनकी व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान में सहायता प्रदान करें।

बच्चों की विशेष शिक्षा आवश्यकताएँ (एस.ई.एन.)

विशेष शिक्षा की कुछ प्रमुख आवश्यकताएँ हैं:

  1. शिक्षा का अनुकूलन: विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए पाठ्यक्रम को अनुकूलित करना।
  2. प्रवेशीयता: ऐसे शैक्षिक वातावरण का निर्माण करना जिसमें सभी बच्चे भाग ले सकें।
  3. व्यक्तिगत ध्यान: बच्चों को उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा देना।

विद्यालय में अपंग बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की चुनौतियाँ

विशेष शिक्षा में कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं:

  1. शिक्षकों का प्रशिक्षण: सामान्य शिक्षकों को विशेष शिक्षण विधियों का प्रशिक्षण नहीं मिलता।
  2. संवेदनशीलता की कमी: समावेशी कक्षाओं में सभी बच्चों के प्रति संवेदनशीलता का अभाव होता है।
  3. विशेष शिक्षकों की कमी: विशेष शिक्षा में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती है।

विशेष विद्यालय और कार्यक्रम

विशेष विद्यालय उन बच्चों के लिए होते हैं जिनमें विशेष आवश्यकताएँ होती हैं, जैसे बौद्धिक अक्षमता या प्रमस्तिष्कघात (सेरेब्रल पाल्सी)। यहाँ के शिक्षक विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं और इन बच्चों की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझते हैं। इन विद्यालयों में बच्चों को उनकी विशेष आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा दी जाती है, ताकि वे समाज में प्रभावी ढंग से समाहित हो सकें।

समावेशी शिक्षा विद्यालय कार्यक्रम

समावेशी शिक्षा का उद्देश्य सभी बच्चों को एक साथ शिक्षा प्रदान करना है। यहाँ पर विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चे एक ही कक्षा में पढ़ते हैं, जिससे वे एक-दूसरे से सीख सकते हैं। समावेशी शिक्षा के सिद्धांत के अनुसार, जब बच्चे अपने साथियों के साथ पढ़ते हैं, तो यह उनके सामाजिक विकास में भी सहायक होता है।

सहायता सेवाएँ

विशेष और समावेशी शिक्षा के लिए सहायता सेवाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। इनमें निम्नलिखित सेवाएँ शामिल हैं:

  • वाक् चिकित्सा: भाषाई विकास में मदद करने के लिए।
  • शारीरिक और व्यावसायिक चिकित्सा: शारीरिक विकास को बढ़ावा देने के लिए।
  • परामर्श सेवाएँ: माता-पिता और शिक्षकों के लिए मार्गदर्शन।
  • परिवहन सेवाएँ: बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए।

अपंगता की परिभाषा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अपंगता एक समावेशी शब्द है जिसमें विभिन्न प्रकार के दोष, सीमित क्रियाकलाप, और भागीदारी में कठिनाई शामिल होती है। यह विभिन्न प्रकार की हो सकती है, जैसे कि शारीरिक, संवेदी, या मानसिक।

अपंगताओं का वर्गीकरण

अपंगताओं को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. बौद्धिक अक्षमता: जिसमें मानसिक कार्य और अनुकूलनात्मक कौशल की कमी होती है।
  2. दृष्टि दोष: इसमें कम दृष्टि से लेकर पूर्ण अंधता तक शामिल हैं।
  3. श्रवण दोष: इसमें आंशिक श्रवण हानि और बहरापन शामिल हैं।
  4. प्रमस्तिष्कघात: जिसमें चलने, बोलने और अन्य गतिविधियों में कठिनाई होती है।
  5. अधिगम अक्षमता: जिसमें पढ़ने, लिखने और गणित में कठिनाई होती है।

अपंगताओं के कारण

अपंगताओं के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं:

  1. जन्म से पहले: आनुवांशिक और गैर-आनुवांशिक कारक।
  2. जन्म के समय: बच्चे को जन्म के समय प्रभावित करने वाले कारक।
  3. विकास के दौरान: बच्चे के विकास के दौरान प्रभाव डालने वाले कारक।

विशेष शिक्षा विधियाँ

विशेष शिक्षा में कुछ विशिष्ट विधियाँ होती हैं, जैसे:

  1. मूल्यांकन: बच्चों के विकास और अधिगम के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यांकन करना।
  2. व्यक्तिगत शिक्षा कार्यक्रम (IEP): प्रत्येक विद्यार्थी के लिए एक व्यक्तिगत कार्यक्रम विकसित करना।
  3. सहायक सेवाएँ: बच्चों के लिए विशेष सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

ज्ञान और कौशल

विशेष शिक्षक के लिए निम्नलिखित कौशल महत्वपूर्ण होते हैं:

  • संवेदनशीलता: अपंग बच्चों के प्रति सहानुभूति और सम्मान दिखाना।
  • विकलांगता के बारे में जानकारी: विभिन्न प्रकार की अपंगताओं की प्रकृति और उनकी विकासात्मक विशेषताओं का ज्ञान होना।
  • शिक्षण कौशल: प्रभावी शिक्षण विधियों का ज्ञान।
  • अंतर वैयक्तिक कौशल: बातचीत और परामर्श की क्षमताएँ।

विशेष शिक्षा में जीविका के लिए तैयारी

विशेष शिक्षा में करियर बनाने के लिए निम्नलिखित आवश्यकताएँ हैं:

  1. कक्षा X पास करना।
  2. अपंगता अध्यनों में स्नातकोत्तर डिग्री।
  3. संबंधित क्षेत्रों में स्नातकोत्तर डिग्री।

कार्यक्षेत्र

विशेष शिक्षा में कार्य के कई क्षेत्र होते हैं, जैसे:

  1. विशेष विद्यालयों में शिक्षक: विशेष शिक्षा कार्यक्रमों में कार्य करना।
  2. निजी उद्यम: परामर्श सेवा या विशेष शिक्षा में कार्य करना।
  3. सरकारी और गैर सरकारी संगठनों में कार्य: विशेष शिक्षा से संबंधित कार्यक्रमों में योगदान देना।

निष्कर्ष

विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ बच्चों के शैक्षिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह आवश्यक है कि समाज और शिक्षण संस्थाएँ इन बच्चों की विशेष आवश्यकताओं को समझें और उन्हें उचित समर्थन प्रदान करें। सभी बच्चों के लिए एक समान और समावेशी शैक्षिक वातावरण बनाना ही सही दिशा में एक कदम है। विशेष शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित शिक्षक और विशेषज्ञों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उनके प्रयासों से ही ये बच्चे अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकते हैं और समाज में एक सशक्त भूमिका निभा सकते हैं।

विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ न केवल बच्चों के जीवन में बदलाव लाती हैं, बल्कि समाज में समग्र बदलाव का भी एक हिस्सा बनती हैं। बच्चों को जब उचित शिक्षा और संसाधन मिलते हैं, तो वे न केवल व्यक्तिगत विकास कर सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।

इस अध्याय में दी गई जानकारी विशेष शिक्षा और सहायक सेवाओं की एक व्यापक समझ प्रदान करती है, जिससे हम इन बच्चों की आवश्यकताओं को और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उन्हें उपयुक्त सहायता प्रदान कर सकते हैं।

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