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खनिज तथा ऊर्जा संसाधन – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 7 Notes

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खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (JAC Class 12 Geography Notes): खनिज और ऊर्जा संसाधन मानव जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये हमारे औद्योगिक विकास, आर्थिक प्रगति और ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इस अध्याय में, हम खनिजों और ऊर्जा संसाधनों के विभिन्न प्रकार, उनकी विशेषताएँ, वितरण और संरक्षण के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectGeography (भूगोल) Part – 2
ChapterChapter 7
Chapter Nameखनिज तथा ऊर्जा संसाधन
Categoryकक्षा 12 Geography नोट्स
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खनिज तथा ऊर्जा संसाधन – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 7 Notes

खनिज की परिभाषा

खनिज एक प्राकृतिक पदार्थ है, जिसमें विशिष्ट रासायनिक संरचना और भौतिक गुण होते हैं। ये या तो अकार्बनिक होते हैं या कार्बनिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं। खनिजों का प्रयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे धातु, निर्माण सामग्री, और ईंधन उत्पादन में।

खनिजों के प्रकार

खनिजों को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जाता है:

  1. धात्विक खनिज
  2. अधात्विक खनिज

1. धात्विक खनिज

धात्विक खनिज वे खनिज होते हैं जिनसे विभिन्न धातुएँ प्राप्त की जाती हैं। ये सामान्यतः उच्च तापमान पर पिघलकर धातु में परिवर्तित होते हैं। प्रमुख धात्विक खनिजों में शामिल हैं:

  • लौह अयस्क: यह मुख्यतः लोहे का स्रोत है और औद्योगिक उपयोग में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • तांबा: इसका उपयोग विद्युत तारों और इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाता है।
  • सोना: आभूषण निर्माण में अत्यधिक मूल्यवान।
  • मैंगनीज: यह मुख्यतः लोहे के मिश्र धातु में उपयोग होता है।
  • वाक्साइट: यह एक महत्वपूर्ण एल्युमिनियम खनिज है।

2. अधात्विक खनिज

अधात्विक खनिज वे खनिज हैं जो धातुओं की बजाय अन्य तत्वों से बने होते हैं। ये भी दो प्रकार के होते हैं:

  • कार्बनिक उत्पत्ति: जैसे कोयला, पेट्रोलियम, जो जीवाश्म ईंधन के रूप में जाने जाते हैं।
  • अकार्बनिक उत्पत्ति: जैसे ग्रेफाइट, चूना पत्थर, अभ्रक, आदि।

भारत में खनिज एजेंसियाँ

भारत में खनिजों के अन्वेषण और विकास के लिए कई प्रमुख एजेंसियाँ काम कर रही हैं। इनमें शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय अल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO)
  • भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (GSI)
  • तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC)
  • खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड (MECL)
  • राष्ट्रीय खनिज विकास निगम
  • भारतीय खान ब्यूरो
  • भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड
  • हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड

भारत में खनिजों की प्रमुख पट्टियां

खनिज पट्टियाँ वे क्षेत्र होते हैं जहाँ खनिज पाए जाते हैं। भारत में प्रमुख खनिज पट्टियाँ निम्नलिखित हैं:

1. उत्तर पूर्वी पठारी पट्टी

यह पट्टी झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और कुछ भागों में फैली हुई है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। प्रमुख खनिजों में लौह अयस्क, कोयला, और मैंगनीज शामिल हैं।

2. दक्षिणी परिचमी पठारी पट्टी

यह पट्टी कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु और केरल में फैली हुई है। यहाँ लौह धातुओं और बॉक्साइट की उपस्थिति महत्वपूर्ण है।

3. उत्तर पश्चिमी पट्टी

यह पट्टी राजस्थान और गुजरात में फैली हुई है। यहाँ खनिज धारवाड़ क्रम की शैलों में तांबा, जिंक, आदि पाए जाते हैं। गुजरात में पेट्रोलियम के निक्षेप भी मौजूद हैं।

तांबे के लाभ और क्षेत्र

तांबा एक महत्वपूर्ण धातु है जिसका उपयोग विद्युत उद्योग में बहुतायत से होता है। यह एक आघातवर्धनीय तथा तन्य धातु है। इसके प्रमुख लाभ और क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

  • उपयोग: तांबा विद्युत मोटरें, ट्रांसफार्मर, और जेनरेटर बनाने में आवश्यक है। इसे आभूषणों में मजबूती प्रदान करने के लिए सोने के साथ मिलाया जाता है।
  • खनन क्षेत्र: प्रमुख खनन क्षेत्र झारखंड (सिंहभूमि जिला), मध्य प्रदेश (बालाघाट), कर्नाटक (चित्रदुर्ग), और राजस्थान (झुंझुनू, अलवर, खेतड़ी) हैं।

मैंगनीज के लाभ और क्षेत्र

मैंगनीज लौह अयस्क के प्रगलन में महत्वपूर्ण कच्चा माल है। इसके उपयोग और खनन क्षेत्र इस प्रकार हैं:

  • उपयोग: इसका उपयोग लौह मिश्र धातु तथा विनिर्माण में किया जाता है। यह लोहे के गुणों को सुधारता है और इसकी मजबूती बढ़ाता है।
  • खनन क्षेत्र: प्रमुख खनन क्षेत्र उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, और झारखंड में हैं।

ऊर्जा संसाधन

ऊर्जा संसाधन वे संसाधन हैं जो विभिन्न प्रकार की ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये संसाधन हमारे औद्योगिक और घरेलू उपयोग के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ऊर्जा संसाधनों के मुख्य प्रकार हैं:

  • कोयला
  • पेट्रोलियम
  • प्राकृतिक गैस
  • परमाणु ऊर्जा

ऊर्जा संसाधनों के प्रकार

ऊर्जा संसाधनों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है:

  1. परंपरागत संसाधन
  • ये समाप्य कच्चे माल का उपयोग करते हैं।
  • इनका वितरण बहुत असमान है और ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
  1. अपरंपरागत संसाधन
  • जैसे सौर, पवन, जल, और भूतापीय ऊर्जा।
  • ये स्वच्छ, पर्यावरण मित्र और असमाप्य होते हैं।

ऊर्जा के अपरंपरागत स्रोत

  • सौर ऊर्जा: भारत के विभिन्न हिस्सों में, विशेषकर गुजरात और राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की व्यापक संभावनाएँ हैं।
  • पवन ऊर्जा: राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, और कर्नाटक में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल स्थितियाँ हैं।
  • ज्वारीय ऊर्जा: भारत के पश्चिमी तट पर ज्वारीय ऊर्जा के विकास की संभावनाएँ मौजूद हैं।
  • भूतापीय ऊर्जा: हिमालय क्षेत्र में भूतापीय ऊर्जा के विकास की संभावनाएँ हैं।
  • जैव ऊर्जा: ग्रामीण क्षेत्रों में जैव ऊर्जा के विकास के लिए अधिक संभावनाएँ हैं।

अपतट वेधन

अपतट वेधन समुद्र तट से दूर समुद्र की तली में प्राकृतिक तेल को वेधन करके प्राप्त करने की प्रक्रिया है। यह तकनीक आधुनिक ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भारत में खनिजों की विशेषताएँ

भारत में खनिजों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • खनिज असमान रूप से वितरित होते हैं, और सभी क्षेत्रों में खनिज नहीं पाए जाते।
  • उच्च गुणवत्ता वाले खनिज आमतौर पर कम मात्रा में होते हैं।
  • खनिज समय के साथ समाप्त होते हैं और इनका पुनर्भरण लंबा समय लेता है।

खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?

खनिजों का संरक्षण हमारे भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके कारण निम्नलिखित हैं:

  1. समाप्ति की संभावनाएँ: खनिजों का उपयोग अत्यधिक बढ़ रहा है, जिससे उनके समाप्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
  2. भूगर्भीय दृष्टि: खनिजों का निर्माण लाखों वर्षों में होता है, इसलिए इनका संरक्षण आवश्यक है।
  3. सतत विकास: सतत् विकास के लिए खनिजों का संरक्षण जरूरी है।

खनिजों के संरक्षण की विधियाँ

खनिजों के संरक्षण के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं:

  1. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग: जैसे सौर, पवन, जल, और भूतापीय ऊर्जा।
  2. पुनर्चक्रण पर जोर: धात्विक खनिजों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना चाहिए।
  3. सामरिक खनिजों का प्रबंधन: सामरिक और अति अल्प खनिजों के निर्यात को नियंत्रित करना।
  4. सूझ-बूझ से उपयोग: खनिजों का मितव्ययता से उपयोग करना चाहिए ताकि वर्तमान भंडार लंबे समय तक उपयोग में लाए जा सकें।

निष्कर्ष

खनिज और ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन मानव जीवन के लिए अत्यधिक आवश्यक है। इनका उचित उपयोग न केवल हमारे विकास को सुनिश्चित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संसाधनों को सुरक्षित रखता है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट के इस दौर में, हमें खनिजों और ऊर्जा संसाधनों के प्रति सजग रहना चाहिए और उन्हें सतत विकास के सिद्धांतों के अनुरूप प्रबंधित करना चाहिए।

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