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प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 2 Notes

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प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम (JAC Class 12 Geography Notes): इस अध्याय में हम प्रवास के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से जानेंगे, जिसमें प्रवास के प्रकार, उसके कारण और उसके परिणाम शामिल हैं। प्रवास न केवल भौगोलिक स्थानों के परिवर्तन को दर्शाता है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों का भी प्रतीक है। हम देखेंगे कि प्रवास किस प्रकार जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है और कैसे यह विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों से जुड़ा होता है।

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectGeography (भूगोल) Part – 2
ChapterChapter 2
Chapter Nameप्रवास प्रकार, कारण और परिणाम
Categoryकक्षा 12 Geography नोट्स
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Official WebsiteJAC Portal
प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 2 Notes

प्रवास की परिभाषा

प्रवास को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लोगों का आवागमन समझा जाता है। यह किसी विशेष क्षेत्र में रहने की अवधि के दौरान हो सकता है। भारत की जनगणना में प्रवास को दो मुख्य आधारों पर मापा जाता है:

  1. जन्म का स्थान: यह प्रवासी के जन्म के स्थान को संदर्भित करता है।
  2. निवास का स्थान: यह उस स्थान को दर्शाता है जहां प्रवासी वर्तमान में निवास कर रहा है।

प्रवास के प्रकार

प्रवास को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  1. आंतरिक प्रवास: यह प्रवास एक ही देश के भीतर होता है।
  2. अंतर्राष्ट्रीय प्रवास: यह प्रवास एक देश से दूसरे देश में होता है।

आंतरिक प्रवास

आंतरिक प्रवास वह प्रक्रिया है जब लोग एक ही राष्ट्र के अंदर विभिन्न स्थानों पर जाकर बसते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के लोग मध्य प्रदेश में जाकर बसना।

आंतरिक प्रवास की धाराएँ

आंतरिक प्रवास को चार मुख्य धाराओं में विभाजित किया जा सकता है:

  1. ग्रामीण से ग्रामीण प्रवास: यह प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों में होता है, जहां लोग एक गांव से दूसरे गांव में जाते हैं।
  2. ग्रामीण से नगरीय प्रवास: जब ग्रामीण लोग शहरों में जाकर बसते हैं।
  3. नगरीय से नगरीय प्रवास: शहरों के भीतर विभिन्न स्थानों पर जाने की प्रक्रिया।
  4. नगरीय से ग्रामीण प्रवास: यह प्रवास उन लोगों का होता है जो शहरों से वापस ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय प्रवास

अंतर्राष्ट्रीय प्रवास उस प्रक्रिया को दर्शाता है जब कोई व्यक्ति या समूह एक देश की सीमाएँ पार कर दूसरे देश में प्रवेश करता है। इस प्रवास के लिए संबंधित देशों के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

प्रवास के कारण

प्रवास के कारणों को समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि किन परिस्थितियों में लोग अपने निवास स्थान को छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं। ये कारण मुख्यतः दो श्रेणियों में विभाजित किए जाते हैं:

  1. प्रतिकर्ष कारक (Push Factors)
  2. अपकर्ष कारक (Pull Factors)

प्रतिकर्ष कारक

प्रतिकर्ष कारक वे तत्व होते हैं जो लोगों को अपने निवास स्थान को छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं। उदाहरण:

  • आर्थिक कारण: जैसे गरीबी, बेरोजगारी और सीमित संसाधन। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण लोग शहरों की ओर प्रवास करते हैं।
  • राजनीतिक कारण: जैसे युद्ध, अस्थिरता और स्थानीय संघर्ष। उदाहरण के लिए, कश्मीर में आतंकवाद के कारण स्थानीय लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में चले जाते हैं।
  • पर्यावरणीय कारण: जैसे प्राकृतिक आपदाएँ (बाढ़, सूखा) जो लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर कर देती हैं।

अपकर्ष कारक

अपकर्ष कारक वे तत्व होते हैं जो किसी स्थान की ओर लोगों को आकर्षित करते हैं। जैसे:

  • आर्थिक अवसर: बेहतर रोजगार, उच्च वेतन, और शहरों में बेहतर जीवन स्तर।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ: महानगरों में उच्च शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता।
  • सामाजिक अवसर: नए अनुभव और सामाजिक जीवन का विस्तार।

प्रवास के प्रमुख कारक

प्रवास के पीछे विभिन्न कारक कार्य करते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  1. आर्थिक कारक: ग्रामीण इलाकों में लोग खेती पर निर्भर होते हैं, और यदि कृषि भूमि पर जनसंख्या का अधिक दबाव हो, तो सभी को रोजगार नहीं मिल पाता। इस कारण लोग शहरों की ओर प्रवास करते हैं, जहां रोजगार के बेहतर अवसर होते हैं।
  2. अवसंरचनात्मक कारक: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव होता है। इन सुविधाओं की कमी भी लोगों को शहरों की ओर जाने के लिए प्रेरित करती है।
  3. सामाजिक कारक: विवाह के कारण महिलाओं को अक्सर अपने ससुराल के स्थान पर जाना पड़ता है, जिससे उन्हें प्रवास करना होता है।
  4. राजनैतिक कारक: युद्ध, अशांति और स्थानीय संघर्ष के चलते लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में अपने घरों को छोड़ देते हैं।
  5. प्राकृतिक/पर्यावरणीय कारक: प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बाढ़, भूकम्प, और सूखा भी प्रवास के कारण बनते हैं।
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प्रवास के परिणाम

प्रवास के विभिन्न परिणाम होते हैं, जो आर्थिक, जनांकिकीय, सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं।

आर्थिक परिणाम

सकारात्मक परिणाम

  • राशियों का प्रवाह: प्रवासियों द्वारा भेजी गई धनराशि (हूंडियाँ) उनके उद्भव क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब, केरल और तमिलनाडु अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों से महत्वपूर्ण धन प्राप्त करते हैं।
  • आर्थिक विकास: प्रवासियों द्वारा भेजी गई राशि का उपयोग भोजन, ऋण की अदायगी, और बच्चों की शिक्षा में किया जाता है, जिससे गाँवों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

नकारात्मक परिणाम

  • अव्यवस्थित शहरीकरण: अनियंत्रित प्रवास ने भारत के महानगरों को अत्यधिक संकेंद्रित कर दिया है। जैसे, मुंबई, दिल्ली, और अन्य शहरों में स्लम बस्तियाँ विकसित हो गई हैं, जिससे रोजगार के अवसरों पर दबाव बढ़ा है।

जनांकिकीय परिणाम

सकारात्मक परिणाम

  • जनसंख्या का पुनर्वितरण: प्रवास से देश के भीतर जनसंख्या का पुनर्वितरण होता है। यह नगरों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • श्रमिकों का आगमन: नगरों में कुशल और अकुशल श्रमिकों का आगमन होता है, जिससे जनसंख्या में अर्जक जनसंख्या के अनुपात में वृद्धि होती है।
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नकारात्मक परिणाम

  • कुशल जनसंख्या का पलायन: योग्य और कुशल युवाओं का प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों के जनांकिकीय संघटन को प्रभावित करता है। इससे गाँवों में श्रम बल की कमी हो सकती है।

सामाजिक परिणाम

सकारात्मक परिणाम

  • सामाजिक परिवर्तन: प्रवासी लोग नई तकनीकों और विचारों का प्रचार करते हैं, जैसे परिवार नियोजन और बालिका शिक्षा। यह ग्रामीण समाज में सकारात्मक बदलाव लाता है।
  • संस्कृतियों का मिलन: प्रवास से विभिन्न संस्कृतियों का मेलजोल बढ़ता है, जिससे सामाजिक ताना-बाना मजबूत होता है।

नकारात्मक परिणाम

  • अकेलापन और निराशा: प्रवासियों को अक्सर अकेलापन और निराशा का सामना करना पड़ता है। इससे असामाजिक गतिविधियों, जैसे अपराध और नशीली दवाओं के सेवन का खतरा बढ़ सकता है।

पर्यावरणीय परिणाम

  • जनसंख्या दबाव: नगरों में जनसंख्या वृद्धि से अव्यवस्थित बस्तियाँ बनती हैं, जो बुनियादी ढाँचे पर दबाव डालती हैं।
  • प्राकृतिक संसाधनों का शोषण: बढ़ती जनसंख्या के कारण जल, वायु और भूमि प्रदूषण की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

अन्य परिणाम: महिलाओं पर प्रभाव

  • महिलाओं की स्थिति: पुरुषों के प्रवास के कारण महिलाएँ अकेली रह जाती हैं, जिससे उन पर अतिरिक्त मानसिक और शारीरिक दबाव पड़ता है। हालांकि, शिक्षा और रोजगार के लिए महिलाओं का प्रवास उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होता है, लेकिन इसके साथ ही उनके शोषण के अवसर भी बढ़ जाते हैं।

निष्कर्ष

प्रवास एक जटिल प्रक्रिया है, जो केवल भौगोलिक परिवर्तन को नहीं दर्शाता, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक ढाँचों में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है। प्रवास के कारणों और परिणामों का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि समाज कैसे बदलता है और विकास की प्रक्रिया में प्रवास की क्या भूमिका है।

हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्रवास के सकारात्मक पहलुओं को पहचानें और नकारात्मक प्रभावों को कम करने के उपाय खोजें, ताकि प्रवास को एक सकारात्मक विकास के अवसर के रूप में देखा जा सके।

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