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अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 11 Notes

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अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (JAC Class 12 Geography Notes): अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से तात्पर्य है विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का लेन-देन। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है, जो देशों के बीच आर्थिक सहयोग, विकास और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। व्यापार केवल वस्तुओं के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सेवाओं, ज्ञान, प्रौद्योगिकी और पूंजी का भी लेन-देन शामिल है। इस अध्याय में, हम भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताओं, उसके विकास, पत्तनों की भूमिका, और वायु परिवहन की महत्वता के बारे में चर्चा करेंगे।

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectGeography (भूगोल) Part – 2
ChapterChapter 11
Chapter Nameअन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
Categoryकक्षा 12 Geography नोट्स
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अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार – JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 11 Notes

भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार

भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार ऐतिहासिक रूप से समृद्ध रहा है, जिसका मूल प्राचीन काल में स्थापित व्यापारिक मार्गों से है। भारत की भौगोलिक स्थिति इसे व्यापार के लिए एक अनुकूल स्थान बनाती है, जहां विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक संबंध स्थापित किए जा सकते हैं।

निर्यात के संगठन में बदलाव

  • परंपरागत निर्यात: पहले भारत में काजू, चाय, दालें, और वस्त्र जैसे परंपरागत उत्पादों का निर्यात प्रमुख था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इनकी मांग में कमी आई है।
  • नए उत्पादों का निर्यात: कृषि उत्पादों के साथ-साथ पुष्प, ताजे फल, समुद्री उत्पाद, और चीनी जैसे नए उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ा है। उदाहरण के लिए, भारत विश्व में मछली और समुद्री खाद्य पदार्थों का प्रमुख निर्यातक बन गया है।
  • विनिर्माण क्षेत्र का योगदान: 2016-17 के दौरान, विनिर्माण क्षेत्र ने कुल निर्यात में 73.6 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह दिखाता है कि भारत ने अपने औद्योगिक आधार को मजबूत किया है और विभिन्न उद्योगों में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाई है।
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आयात के संगठन में बदलाव

  • 1950-60 के दशक: इस समय भारत खाद्यान्न, मशीनरी, और पूंजीगत सामान का मुख्य आयात करता था। खाद्यान्न की कमी के कारण आयात बढ़ा।
  • 1970 के दशक: इस दशक में उर्वरक और पेट्रोलियम के आयात में वृद्धि हुई, जो भारतीय कृषि और उद्योग के लिए आवश्यक थे।
  • वर्तमान स्थिति: आजकल, मशीनरी, खाद्य तेल, रसायन और पेट्रोलियम के उत्पाद मुख्य आयात बन गए हैं। भारत का आयात निर्यात से अधिक हो गया है, जिससे व्यापार संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

भारत के व्यापार की दिशा

भारत के व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: 2003-04 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझीदार था, लेकिन 2011-12 में यह तीसरे स्थान पर खिसक गया। इस बदलाव का मुख्य कारण एशियाई देशों के साथ बढ़ता व्यापार है।
  • एशियाई देशों के साथ व्यापार: 2016-17 में भारत का अधिकतम आयात एशियाई देशों से हुआ, जिसमें चीन, जापान, और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।
  • पश्चिम यूरोप के देश: भारत का पश्चिम यूरोप के देशों, जैसे यूके, बेल्जियम, इटली, और फ्रांस के साथ भी महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध हैं। ये देश भारत के निर्यात के प्रमुख बाजारों में से एक हैं।

भारत के विदेशी व्यापार की विशेषताएँ

भारत का विदेशी व्यापार कुछ खास विशेषताओं से जाना जाता है:

  • घाटा: भारत का विदेशी व्यापार हमेशा से घाटे में रहा है। आयात का मूल्य निर्यात के मूल्य से अधिक रहता है, जो व्यापार संतुलन में नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • मुख्य निर्यात उत्पाद: भारत का मुख्य निर्यात वस्त्र, अयस्क, हीरे, और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ हैं। यह उत्पाद न केवल देश की पहचान बनाते हैं, बल्कि आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • मुख्य आयात उत्पाद: पेट्रोलियम भारत का सबसे बड़ा आयात है। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रॉनिक सामान और मशीनरी भी प्रमुख आयात उत्पादों में शामिल हैं।
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वायु परिवहन की भूमिका

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वायु परिवहन की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह उच्च मूल्य वाले या नाशवान सामान को तेजी से परिवहन करने में मदद करता है। वायु परिवहन के माध्यम से, व्यापारियों को अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार में समय पर पहुँचाने में सुविधा होती है।

  • भारत में हवाई अड्डे: वर्तमान में भारत में 12 अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और 112 घरेलू हवाई अड्डे हैं। प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, और कोलकाता शामिल हैं। ये हवाई अड्डे व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में मदद करते हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से लाभ

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से, देशों को कई लाभ प्राप्त होते हैं:

  • आत्मनिर्भरता: आज के जटिल आर्थिक परिदृश्य में, कोई भी देश पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। हर देश में कुछ वस्तुएं अधिक होती हैं और कुछ की कमी होती है। इसलिए, सभी देश अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक-दूसरे से व्यापार करते हैं।
  • आर्थिक उन्नति: किसी देश की आर्थिक उन्नति का बड़ा हिस्सा उसके अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर करता है। व्यापार के माध्यम से, देश नई तकनीक, ज्ञान, और निवेश प्राप्त करते हैं, जिससे विकास होता है।

प्रमुख भारतीय पत्तन

भारतीय बंदरगाह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये व्यापारिक गतिविधियों के प्रमुख केन्द्र होते हैं और विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं के लेन-देन को सुगम बनाते हैं। प्रमुख भारतीय पत्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1. कांडला पत्तन

  • स्थान: कांडला पत्तन गुजरात में स्थित है।
  • महत्व: यह मुख्यतः पेट्रोलियम और उर्वरकों के आयात के लिए महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य मुंबई बंदरगाह पर दबाव को कम करना है।
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2. मुंबई पत्तन

  • विशेषताएँ: यह भारत का सबसे बड़ा और एक प्राकृतिक बंदरगाह है। यह मध्य पूर्व, भूमध्यसागरीय देशों, उत्तरी अमेरिका, और यूरोप के साथ व्यापार का केंद्र है।
  • विस्तार: मुंबई पत्तन का क्षेत्रफल 20 किमी लंबाई और 54 बर्थ के साथ 6-10 किमी चौड़ाई में फैला है।

3. जवाहरलाल नेहरू पत्तन

  • स्थान: न्हावा शेवा में स्थित है।
  • महत्व: यह भारत का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट है और मुंबई बंदरगाह के दबाव को कम करने के लिए विकसित किया गया है।

4. विशाखापट्टनम पत्तन

  • स्थान: आंध्र प्रदेश में स्थित है।
  • विशेषताएँ: यह एक भूमि आधारित बंदरगाह है जो लौह-खनिज और सामान्य कार्गो के लिए महत्वपूर्ण है।

5. कोलकाता पत्तन

  • स्थान: हुगली नदी पर स्थित है।
  • महत्व: यह ब्रिटिश काल में विकसित किया गया था, लेकिन अब यह अन्य बंदरगाहों के मुकाबले कमजोर हो रहा है।

पत्तनों का महत्व

भारतीय पत्तनों को “अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार” कहा जाता है, क्योंकि:

  • समुद्री पत्तन: ये अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पत्तन जहाजों के लिए गोदी, सामान, उतारने-लादने और भंडारण की सुविधाएं प्रदान करते हैं।
  • पृष्ठ प्रदेश: पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेशों से वस्तुओं को इकट्ठा करने का कार्य करते हैं, जिससे व्यापारिक गतिविधियाँ सुगम होती हैं।

निष्कर्ष

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को आकार दिया है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के विभिन्न बंदरगाह और हवाई अड्डे इस व्यापार के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान करते हैं, जिससे आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलता है। वैश्वीकरण के इस युग में, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व और भी बढ़ गया है, और इसे समझना छात्रों के लिए अत्यंत आवश्यक है।

इन नोट्स के माध्यम से, कक्षा 12 के भूगोल के छात्रों को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख पहलुओं को समझने में मदद मिलेगी, जिससे वे इस क्षेत्र में गहराई से ज्ञान प्राप्त कर सकें।

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