अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (JAC Class 12 Geography Chapter 9 Notes): अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केवल आर्थिक लेन-देन का एक साधन नहीं है, बल्कि यह वैश्विक संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो देशों के विकास, संसाधनों के वितरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रभावित करता है। इस अध्याय में, हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार के इतिहास, उसके विभिन्न पहलुओं, प्रकार, व्यापार संतुलन, मुक्त व्यापार के लाभ और नुकसान, और विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
Textbook | NCERT |
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Class | Class 12 |
Subject | Geography (भूगोल ) |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र |
Category | कक्षा 12 Geography नोट्स |
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Official Website | JAC Portal |
अंतरराष्ट्रीय व्यापार का इतिहास
प्राचीन काल
प्राचीन काल में व्यापार मुख्यतः स्थानीय स्तर पर सीमित था। उस समय के लोग अपनी आवश्यकताएं स्थानीय संसाधनों से पूरी करते थे। लेकिन धीरे-धीरे, जैसे-जैसे सभ्यताएँ विकसित हुईं, व्यापार की अवधारणा में भी बदलाव आया।
- सिल्क रूट: यह मार्ग लगभग 6000 किलोमीटर लंबा था, जो रोम को चीन से जोड़ता था। इस मार्ग पर व्यापारियों ने चीनी रेशम, रोमन ऊन, धातुओं आदि का व्यापार किया। सिल्क रूट ने विभिन्न संस्कृतियों और देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत किया।
मध्ययुग और औपनिवेशिक काल
- दास व्यापार: 15वीं शताब्दी में, दास व्यापार का उदय हुआ, जिसमें यूरोपीय देशों ने अफ्रीका से लोगों को पकड़कर अमेरिका में बेचा। यह व्यापार केवल आर्थिक लाभ के लिए नहीं था, बल्कि इसने मानवाधिकारों का उल्लंघन भी किया।
- औद्योगिक क्रांति: 18वीं और 19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के बाद, औद्योगिक देशों ने कच्चे माल का आयात करना शुरू किया और विकसित देशों को तैयार उत्पादों का निर्यात किया। इसने वैश्विक व्यापार के स्वरूप में एक नया मोड़ दिया।
आधुनिक युग
- विश्व व्यापार संगठन (WTO): 1995 में GATT (जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ) के रूप में स्थापित हुआ, WTO का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना और व्यापार विवादों का निपटारा करना है। WTO ने देशों के बीच व्यापार के नियमों को स्थापित किया है और यह सुनिश्चित करता है कि व्यापार निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार का आधार
1. राष्ट्रीय संसाधनों में अंतर
अंतरराष्ट्रीय व्यापार का आधार उन संसाधनों के असमान वितरण पर निर्भर करता है जो विभिन्न देशों में पाए जाते हैं। ये संसाधन भूगर्भीय, जलवायु, और सामाजिक-आर्थिक कारकों के अनुसार भिन्न होते हैं।
- भूगर्भीय संरचना: भूमि का प्रकार, जैसे उपजाऊ मिट्टी, पहाड़ी इलाके, और जलवायु की स्थिति, विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, कृषि क्षेत्रों में उपजाऊ भूमि की उपलब्धता आवश्यक होती है।
2. जलवायु
जलवायु किसी भी क्षेत्र में कृषि और वानिकी गतिविधियों को प्रभावित करती है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जैसे कि भारत के कुछ हिस्सों में, कृषि उत्पाद जैसे चावल, गन्ना और रबर उगाए जाते हैं। ठंडे क्षेत्रों में, ऊन उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु होती है।
3. जनसंख्या कारक
देशों के बीच जनसंख्या का आकार, वितरण और विविधता भी व्यापार को प्रभावित करता है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आंतरिक व्यापार की मात्रा अधिक होती है, जबकि बाहरी व्यापार की आवश्यकता विकसित होती है।
4. सांस्कृतिक कारक
सांस्कृतिक कारक भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करते हैं। विभिन्न संस्कृतियों में विशेष कला और शिल्प विकसित होते हैं, जैसे कि चीन की चीनी मिट्टी, ईरान के कालीन, और इंडोनेशिया के बाटिक कपड़े। ये उत्पाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
5. आर्थिक विकास के चरण
औद्योगिक देशों का विकास उनके निर्यात उत्पादों की प्रकृति पर निर्भर करता है। ये देश मशीनरी, तैयार उत्पाद, और खाद्यान्न का निर्यात करते हैं, जबकि विकासशील देश मुख्य रूप से कच्चे माल का आयात करते हैं।
6. परिवहन की सुविधाएं
परिवहन के साधनों का विकास, जैसे कि रेल, समुद्र, और हवाई मार्ग, ने व्यापार में एक नया आयाम जोड़ा है। ये सुविधाएं विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को सरल बनाती हैं।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रकार
अंतरराष्ट्रीय व्यापार को मुख्यतः दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1. द्विपार्श्विक व्यापार
यह व्यापार दो देशों के बीच किया जाता है। यह आमतौर पर दो देशों के बीच विशेष व्यापारिक संबंधों को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी और कृषि उत्पादों का व्यापार।
2. बहुपार्श्विक व्यापार
यह व्यापार कई देशों के साथ किया जाता है। इसमें एक से अधिक देशों के बीच व्यापारिक संबंध होते हैं, जैसे कि यूरोपीय संघ के देशों के बीच।
व्यापार का परिमाण
व्यापार का परिमाण वस्तुओं और सेवाओं की कुल मात्रा का माप होता है। यह व्यापार के आकार और विस्तार को दर्शाता है। इसमें वास्तविक तौल का उपयोग नहीं होता, बल्कि वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को ध्यान में रखा जाता है।
व्यापार संयोजन
व्यापार संयोजन का तात्पर्य है उन वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार में हुए परिवर्तनों से जो विभिन्न देशों द्वारा आयातित और निर्यातित की जाती हैं।
- उदाहरण के लिए, 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, प्राथमिक उत्पादों का व्यापार प्रमुख था। बाद में, विनिर्माण वस्तुओं का व्यापार बढ़ा और अब सेवा क्षेत्र भी तेजी से विकसित हो रहा है।
व्यापार की दिशा
व्यापार की दिशा यह दर्शाती है कि कौन से देश किन उत्पादों का निर्यात या आयात कर रहे हैं। पहले विकासशील देश कीमती वस्तुओं और शिल्पकला की वस्तुओं का निर्यात करते थे। 19वीं शताब्दी में, यूरोपीय देशों ने अपने उपनिवेशों से खाद्य पदार्थ और कच्चे माल के बदले में विनिर्माण वस्तुओं का निर्यात करना शुरू कर दिया। आज भारत ने विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर दिया है, और चीन तेजी से व्यापार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
व्यापार संतुलन
व्यापार संतुलन एक देश द्वारा दूसरे देश को भेजे गए वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य और आयात किए गए वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य के बीच के अंतर को दर्शाता है।
1. ऋणात्मक संतुलन
जब किसी देश का आयात का मूल्य उसके निर्यात के मूल्य से अधिक होता है, तो इसे ऋणात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।
2. धनात्मक संतुलन
जब निर्यात का मूल्य आयात के मूल्य से अधिक होता है, तो इसे धनात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।
मुक्त व्यापार
मुक्त व्यापार का तात्पर्य है दो देशों के बीच व्यापारिक बाधाओं को समाप्त करना। इसमें सीमा शुल्क, टैरिफ और अन्य व्यापारिक अवरोधों को हटाया जाता है।
मुक्त व्यापार के लाभ
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: घरेलू उत्पादों और सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा मिलती है, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- वाणिज्यिक वृद्धि: व्यापार में वृद्धि होने से देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होते हैं।
मुक्त व्यापार के नुकसान
- स्थानीय उद्योगों पर प्रभाव: विकासशील देशों में, मुक्त व्यापार के कारण विकसित देशों के उत्पादों की अधिक मात्रा में आमद होती है, जिससे स्थानीय उद्योग प्रभावित होते हैं।
- आर्थिक असमानता: इससे धनी और गरीब देशों के बीच की खाई बढ़ती है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO)
विश्व व्यापार संगठन (WTO) का गठन 1995 में GATT के रूप में हुआ। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो देशों के बीच व्यापार संबंधों को विनियमित करता है।
WTO की भूमिका
- विवादों का निपटारा: WTO देशों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाने में मदद करता है।
- नियमों की स्थापना: यह सुनिश्चित करता है कि सभी सदस्य देशों के लिए समान व्यापार नियम हों।
WTO की आलोचना
- धनी और गरीब देशों के बीच असमानता: WTO ने मुक्त व्यापार को बढ़ावा दिया है, जिससे धनी देश और भी धनी और गरीब देश और भी गरीब हो रहे हैं।
- पर्यावरणीय मुद्दे: WTO पर्यावरणीय मुद्दों और श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी करता है।
प्रादेशिक व्यापार
प्रादेशिक व्यापार उन देशों के बीच होता है जिनकी व्यापार संबंधी आवश्यकताएं और समस्याएं समान होती हैं। ये देश भौगोलिक दृष्टि से निकट होते हैं। जैसे कि OPEC (Oil Producing and Exporting Countries) और ASEAN (Association of Southeast Asian Nations)।
डंपिंग
डंपिंग की प्रक्रिया में एक वस्तु को दो देशों में भिन्न कीमतों पर बेचना शामिल होता है। यह लागत के आधार पर नहीं, बल्कि विभिन्न कारण
ों से किया जाता है।
मार्ग पत्तन और आंत्रपों पत्तन
मार्ग पत्तन
मार्ग पत्तन समुद्री मार्ग पर विश्राम केन्द्रों के रूप में विकसित होते हैं। जैसे होनोलूलू और सिंगापुर, जहां जहाज ईंधन, जल और भोजन के लिए लंगर डालते हैं।
आंत्रपों पत्तन
आंत्रपों पत्तन पर विभिन्न देशों से निर्यात हेतु वस्तुएं लाई जाती हैं, एकत्र की जाती हैं और अन्य देशों को भेजी जाती हैं, जैसे रोटरडम और कोपेनहेगन।
पत्तनों का महत्व
पत्तन अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि ये व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाते हैं।
सुविधाएं
- जहाजों के रुकने की व्यवस्था: पत्तन जहाजों के लिए आश्रय प्रदान करते हैं।
- लादने और उतारने की सुविधा: वस्तुओं को लादने, उतारने और भंडारण की सुविधा प्रदान करते हैं।
- प्रशीतन की सुविधा: पत्तनों में अत्याधुनिक सुविधाएं होती हैं, जो व्यापार को बढ़ावा देती हैं।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय व्यापार ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। यह न केवल आर्थिक विकास में सहायक है, बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को भी बढ़ावा देता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से देशों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा का एक नया अध्याय खुलता है, जो अंततः वैश्विक स्थिरता और समृद्धि की दिशा में अग्रसर होता है।