Home / JAC 12th Class Notes / Class 12 Geography Notes / मानव विकास – JAC Class 12 Geography Chapter 4 Notes

मानव विकास – JAC Class 12 Geography Chapter 4 Notes

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

मानव विकास (Class 12 Geography Notes): मानव विकास एक ऐसा विषय है जो समाज की भलाई और व्यक्तियों के जीवन स्तर को सुधारने की प्रक्रिया को दर्शाता है। यह केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू भी शामिल होते हैं। इस अध्याय में हम मानव विकास के विभिन्न पहलुओं, सिद्धांतों और सूचकांकों का गहराई से अध्ययन करेंगे।

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectGeography (भूगोल )
ChapterChapter 4
Chapter Nameमानव विकास
Categoryकक्षा 12 Geography नोट्स
Join our WhatsApp & Telegram channel to get instant updates Join WhatsApp &
Telegram Channel
Official WebsiteJAC Portal
मानव विकास – JAC Class 12 Geography Chapter 4 Notes

सार्थक जीवन

सार्थक जीवन की परिभाषा

सार्थक जीवन का अर्थ केवल शारीरिक अस्तित्व नहीं है, बल्कि इसका तात्पर्य एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने से है। सार्थक जीवन वह होता है जहां व्यक्ति स्वस्थ, विचारशील और सामाजिक रूप से सक्रिय होता है। इसका अर्थ है कि लोग अपने जीवन में एक सकारात्मक दिशा में बढ़ें और समाज में अपनी भूमिका को समझें।

सार्थक जीवन के तत्व

  1. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य केवल बीमारी का न होना नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है।
  2. विवेकपूर्ण सोच: व्यक्ति को अपनी सोच को स्वतंत्र रूप से विकसित करना चाहिए ताकि वह समाज में योगदान दे सके।
  3. समाजिक भागीदारी: लोगों को समाज में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए ताकि वे अपने समुदाय की बेहतरी के लिए कार्य कर सकें।
  4. उद्देश्यपूर्ण जीवन: जीवन का एक उद्देश्य होना आवश्यक है, जिससे व्यक्ति को अपने लक्ष्य को पाने में प्रेरणा मिले।

विकास

विकास की परिभाषा

विकास को गुणात्मक परिवर्तनों के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह केवल भौतिक संपत्ति की वृद्धि नहीं है, बल्कि यह समाज और व्यक्तियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रक्रिया है। विकास के अंतर्गत विकल्पों में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार शामिल है।

विकास के प्रमुख पहलू

  1. गुणात्मक परिवर्तन: विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में गुणवत्ता को सुधारता है, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुरक्षा।
  2. सामाजिक न्याय: विकास का उद्देश्य समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करना है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों को उनके अधिकार और अवसर मिलें।
  3. स्थायी विकास: यह सुनिश्चित करना कि वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताएं पूरी हों, बिना भविष्य की पीढ़ियों के अवसरों को नष्ट किए।
Also Read:  अंतर्राष्ट्रीय व्यापार - JAC Class 12 Geography Chapter 9 Notes

वृद्धि

वृद्धि की परिभाषा

वृद्धि को मात्रात्मक परिवर्तन के रूप में समझा जा सकता है। यह एक संख्या में वृद्धि हो सकती है, जैसे जनसंख्या वृद्धि, आय में वृद्धि, या किसी अन्य मापदंड में। वृद्धि को मापा जा सकता है और यह धनात्मक या ऋणात्मक दोनों रूपों में हो सकती है।

वृद्धि के प्रकार

  1. धनात्मक वृद्धि: जब किसी चीज़ की संख्या में वृद्धि होती है, जैसे जनसंख्या या आय में वृद्धि।
  2. ऋणात्मक वृद्धि: जब संख्या में कमी आती है, जैसे प्राकृतिक आपदाओं के कारण जनसंख्या की कमी।

विकास और वृद्धि में अंतर

वृद्धि का अर्थ

वृद्धि समय के संदर्भ में मात्रात्मक परिवर्तन को दर्शाती है। यह एक विशेष समय में किसी तत्व की स्थिति को स्पष्ट करती है।

विकास का अर्थ

विकास गुणात्मक परिवर्तन है, जो मूल्य सापेक्ष होता है। यह एक समग्र दृष्टिकोण से व्यक्तियों और समाज की भलाई के लिए आवश्यक है।

मानव विकास

मानव विकास की परिभाषा

मानव विकास का तात्पर्य लोगों के जीवन को सुधारने और उनके विकल्पों में वृद्धि करने से है। यह व्यक्ति के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन को दर्शाता है।

डॉ. महबूब उल हक की परिभाषा

डॉ. महबूब उल हक ने मानव विकास को इस तरह परिभाषित किया है: “मानव विकास का अभिप्राय ऐसे विकास से है जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन में सुधार लाता है।”

मानव विकास के चार स्तंभ

  1. समता:
  • समानता का अर्थ है कि सभी व्यक्तियों को अवसरों में समान भागीदारी मिलनी चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को उसके लिंग, जाति, या आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े।
  1. सतत् पोषणीयता:
  • यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य की पीढ़ियों को भी समान अवसर मिलें। इसके लिए आवश्यक है कि संसाधनों का दुरुपयोग न हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए उनके अधिकार सुरक्षित रहें।
  1. उत्पादकता:
  • उत्पादकता का तात्पर्य मानव श्रम की क्षमता में सुधार करने से है। इसे सशक्त बनाने के लिए आवश्यक है कि लोगों को ज्ञान और कौशल प्रदान किए जाएं।
  1. सशक्तीकरण:
  • यह आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को मजबूत बनाना है ताकि वे अपने विकल्पों का चुनाव कर सकें। यह उन्हें समाज में सक्रिय भूमिका निभाने की क्षमता देता है।
Also Read:  भौगिक परिपेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ - JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 12 Notes

मानव विकास के उपागम

  1. आय उपागम:
  • आय का स्तर मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़ा जाता है। उच्च आय का स्तर विकास के उच्च स्तर को दर्शाता है।
  1. कल्याण उपागम:
  • इस उपागम में मानव को लाभार्थी के रूप में देखा जाता है। इसमें सरकार का दायित्व है कि वह कल्याण पर अधिकतम व्यय करे।
  1. आधारभूत आवश्यकता उपागम:
  • यह उपागम मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, स्वच्छता आदि की न्यूनतम आवश्यकताओं की पहचान की गई है।
  1. क्षमता उपागम:
  • प्रो. अमर्त्य सेन के सिद्धांत पर आधारित, यह उपागम मानव क्षमताओं के निर्माण पर केंद्रित है। संसाधनों तक पहुंच और उनके विकास की प्रक्रिया मानव विकास की कुंजी है।

मानव विकास का महत्व

  • मानव विकास देश के आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके द्वारा राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की जा सकती है।
  • अगर देश में योग्य, कुशल और प्रतिभाशाली लोग होंगे, तो वे प्राकृतिक संसाधनों का सही और कुशलतम उपयोग कर सकेंगे।
  • मानव विकास का उद्देश्य नई तकनीकों का विकास करना है, जो आर्थिक प्रगति में सहायक होती है।
Also Read:  भारत के संदर्भ में नियोजन एवं सततपोषणीय विकास - JAC Class 12 Geography Part 2 Chapter 9 Notes

मानव विकास सूचकांक (HDI)

  • मानव विकास सूचकांक एक महत्वपूर्ण मापक है, जिसके द्वारा किसी देश के लोगों के विकास का मूल्यांकन किया जाता है। यह स्वास्थ्य, शिक्षा के स्तर और संसाधनों तक उनकी पहुंच के संदर्भ में मापा जाता है।

HDI का मापन

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मानव विकास सूचकांक को तीन प्रमुख सूचकांकों के माध्यम से मापा जाता है:

  1. स्वास्थ्य:
  • स्वास्थ्य का मूल्यांकन जीवन प्रत्याशा के माध्यम से किया जाता है, जो दीर्घकालिक और स्वस्थ जीवन का संकेत है।
  1. शिक्षा:
  • शिक्षा का मूल्यांकन प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात के आधार पर किया जाता है। यह मानव ज्ञान की पहुंच को दर्शाता है।
  1. संसाधनों तक पहुंच:
  • यह सूचकांक लोगों की क्रय शक्ति और आर्थिक सामर्थ्य को दर्शाता है।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम

  • 1990 से, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) मानव विकास सूचकांक और मानव गरीबी सूचकांक को मापकर मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करता है। यह रिपोर्ट विभिन्न देशों के मानव विकास स्तर की तुलना करने में मदद करती है।

मानव विकास के उच्च स्तर वाले देश

  • उच्च मानव विकास वाले देशों में सरकार द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर अत्यधिक निवेश किया जाता है। इन देशों में राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक विविधता का अभाव होता है। उदाहरण: नार्वे, आईसलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया।

मानव विकास के निम्न स्तर वाले देश

  • निम्न मानव विकास वाले देशों में सरकार द्वारा आवश्यक निवेश का अभाव होता है। यहां राजनीतिक अशांति, गृह युद्ध, और सामाजिक अस्थिरता की स्थिति बनी रहती है। यह देशों में आर्थिक विकास की गति धीमी होती है।

निष्कर्ष

मानव विकास का अध्ययन न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह हमारे जीवन की गुणवत्ता और भलाई के लिए आवश्यक है। मानव विकास के सही उपागम और नीतियों के माध्यम से, हम एक समान और समृद्ध समाज की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

इस अध्याय के माध्यम से, हमने मानव विकास के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया है और यह समझा है कि कैसे यह हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। सही दिशा में उठाए गए कदम हमें एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।

Leave a Comment